National Sports Governance Bill 2025: 11 अगस्त 2025 का दिन भारतीय खेलों के लिए बहुत अहम रहा। इस दिन लोकसभा में खेलों से जुड़े 2 बड़े बिल पास हुए। जिसमें नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल 2025 और एंटी-डोपिंग बिल शामिल है। आज के दिन इन दोनों बिल को लोकसभा में बहुमत से पास करा लिया गया है। खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इन दोनों बिल को भारतीय खेलों को नई दिशा देने वाला बता रहे हैं। हालांकि इस बिल का असर अब बीसीसीआई पर भी पड़ने वाला है।
बीसीसीआई पर अब सरकार रहेगी निगरानी
नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेस बिल 2025 भारतीय खेल संगठनों को ज्यादा पारदर्शी और खिलाड़ियों के हित में काम करने के लिए पास कराया गया है. इस बिल के आने से खेल महासंघों, राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSFs) और भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) के कामकाज में सुधार होगा. इस बिल का उद्देश्य महिलाओं और नाबालिग खिलाड़ियों की सुरक्षा, निष्पक्ष चुनाव, पारदर्शी कामकाज और खेल से जुड़े विवादों के जल्दी से जल्दी निपटारा करना है. इस बिल में अब बीसीसीआई का नाम भी शामिल है।
जिसका अर्थ है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड पर भी खेल मंत्रालय की निगरानी होगी। खेल मंत्री ने कहा है कि इसे भारत में खेल के इकोसिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए लाया गया है. उनका कहना है कि भारत जब ओलंपिक की मेजबानी के लिए दावेदारी पेश करेगा, तब यह जरूरी होगा कि खेल इकोसिस्टम मजबूत और पारदर्शी हो. उन्होंने भरोसा जताया कि इन कानूनों से ‘स्पोर्ट्स के ग्राउंड से ग्लोरी’ तक का सपना साकार होगा.
🚨Lok Sabha clears two key legislations — the National Sports Governance Bill, 2025 and the National Anti-Doping (Amendment) Bill, 2025 — aimed at strengthening sports governance and anti-doping measures in India.
The bills will now move to the Rajya Sabha for further scrutiny… pic.twitter.com/cVUg4k5KtZ---विज्ञापन---— RevSportz Global (@RevSportzGlobal) August 11, 2025
BCCI पर क्या पड़ेगा असर?
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अब तक एक प्राइवेट संस्था है। इस बिल के पास होने के कारण अब बोर्ड को एक नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन के रूप में ही माना जाएगा। साल 2019 तक बीसीसीआई को नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन के रूप में भी मान्यता नहीं थी। वहीं साल 2020 में बोर्ड को सूचना का अधिकारी अधिनियम के तहत लाया गया था। इस बिल के पास होने के बाद अब बीसीसीआई को भी खेल मंत्रालय के सभी आदेशों का पालन करना होगा। हालांकि अभी भी बोर्ड के पास फैसले लेने के अधिकार होंगे। उसमें सरकार का हस्तक्षेप नहीं होगा।
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