Jerrssis Wadia: भारतीय मूल के ऑलराउंडर जेरसिस वाडिया की बिग बैश लीग में शोहरत रातों-रात मिली कामयाबी का नतीजा नहीं है, बल्कि ये सालों की कुर्बानी, हिम्मत और पक्के यकीन का रिजल्ट है. हालांकि उन्होंने एडिलेड स्ट्राइकर्स के लिए ब्रिस्बेन हीट के खिलाफ 16 गेंदों में 34 रन बनाकर सुर्खियां बटोरीं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में प्रोफेशनल क्रिकेट तक का उनका सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था.
मुश्किलों के आगे नहीं झुके
मुंबई में जन्मे वाडिया 17 साल की उम्र में ऑस्ट्रेलिया चले गए, जहां उन्होंने साउथ ऑस्ट्रेलिया के अंडर-19 सेटअप और स्ट्राइकर्स एकेडमी में समय बिताया. हालांकि, पैसों की कमी और कोरोना वायरल महामारी के कारण उन्हें भारत लौटना पड़ा, जहां अंडर19 क्रिकेट में मौका छूट जाने से उनके लिए आगे के रास्ते और भी मुश्किल हो गए. अपने सपने को पूरा करने के लिए पक्के इरादे के साथ, वाडिया अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया लौट आए, उनके पास सीमित संसाधन थे और कोई गारंटी भी नहीं थी.
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कैसे करते थे गुजारा?
अपना गुजारा करने के लिए, उन्होंने जूनियर क्रिकेट को कोचिंग दी, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल किया, खाना बनाना सीखा और अकेले रहते हुए ट्रेनिंग जारी रखी. समय के साथ, बड़े खिलाड़ियों के साथ रहने से उन्हें एक शर्मीले टीनएजर से एक कॉनफिडेंस, बेखौफ क्रिकेटर बनने में मदद मिली. वो अपनी तरक्की का क्रेडिट टेक्निकल परफेक्शन के बजाय अपनी सोच, कॉन्फिडेंस और अपनी काबिलियत पर भरोसा करने को देते हैं.
एक ओवर में लगाए 3 छक्के
अब ऑस्ट्रेलिया में 3 साल बिताने के बाद एक डोमेस्टिक खिलाड़ी के तौर पर एलिजबल होने के बाद, वाडिया ने बिग बैश लीग 2025-26 के लिए एलेक्स कैरी की जगह एक लोकल रिप्लेसमेंट के तौर पर स्ट्राइकर्स के साथ साइन किया. उनका निडर अंदाज उनके दूसरे बीबीएल इनिंग्स में साफ दिखा, जहां उन्होंने गाबा में एक ओवर में लगातार 3 छक्के लगाए.
अभी तो शुरुआत है
ट्रैविस हेड जैसे खिलाड़ियों से इंस्पायर और लगातार मेहनत की सोच रखने वाले जेरसिस वाडिया जमीन से जुड़े हुए हैं. हालांकि उनकी हाल की परफॉर्मेंस ने दुनियाभर के क्रिकेट फैंस का ध्यान खींचा है, लेकिन वो इसे अनुशासन, हिम्मत और अटूट आत्मविश्वास पर बनी एक लंबे सफर की सिर्फ शुरुआत मानते हैं.










