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साइंस

ब्लड की कमी से होने वाली मौतों पर लगेगी रोक, Artificial Blood का सपना जल्द होगा साकार!

Artificial Blood: ब्लड की कमी से होने वाली मृत्यु को रोकने के काफी प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत ब्रिटेन से लेकर जापान तक ब्लड के मानव-निर्मित विकल्पों पर क्लिनिकल परीक्षण (Clinical trials) किए जा रहे हैं। ब्लड की कमी और सेफ ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता के बीच वैज्ञानिक आर्टिफिशियल ब्लड के उत्पादन की संभावना तलाश रहे हैं।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: Mar 9, 2025 19:09
Artificial Blood
सांकेतिक तस्वीर।

Scientists Producing Artificial Blood: मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की कर ली है और कई लाइलाज बीमारियों का इलाज भी अब आसानी से हो रहा है। लेकिन, आर्टिफिशियल ब्लड एक ऐसी पहेली है जिसे अभी तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है कि लैब में ब्लड बनाने के लिए कोशिशें नहीं हो रही हैं। कई वैज्ञानिक इस पर रिसर्च कर रहे हैं और लगता है कि अब जल्द ही इस दिशा में कामयाबी मिलने वाली है।

ब्लड की कमी से हर साल लाखों मौतें: WHO

ब्लड की कमी से होने वाली मृत्यु को रोकने के लिए ब्रिटेन से लेकर जापान तक ब्लड के मानव-निर्मित विकल्पों पर क्लिनिकल परीक्षण (Clinical trials) किए जा रहे हैं। ब्लड की कमी और सेफ ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता के बीच वैज्ञानिक आर्टिफिशियल ब्लड के प्रोडक्शन की संभावना तलाश रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अध्ययनों से पता चला है कि ब्लड की कमी के कारण हर साल दुनिया भर में लाखों लोग मर जाते हैं।

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2022 में किया गया था पहला क्लिनिकल ट्रायल

ब्लड पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है और वेस्ट प्रोडक्ट्स (Waste Products) को बाहर निकालता है। साथ ही कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी करता है। लैब में विकसित ब्लड का इस्तेमाल रेयर ब्लड ग्रुप्स वाले मरीजों पर 2022 में पहले क्लिनिकल ट्रायल में किया गया था। इमरजेंसी मेडिसिन, सर्जरी और ट्रांसफ्यूजन को स्पोर्ट करने के प्रयासों के तहत वैज्ञानिक सिंथेटिक ब्लड डेवलप करने पर भी काम कर रहे हैं। इसलिए माना जा रहा है कि वैज्ञानिक आर्टिफिशियल ब्लड डेवलप करने के करीब हैं।

आर्टिफिशियल ब्लड क्या है?

आर्टिफिशियल ब्लड एक व्यापक शब्द है जिसमें लैब में तैयार और सिंथेटिक ब्लड दोनों शामिल हैं। सिंथेटिक ब्लड का अभी भी अध्ययन किया जा रहा है। यह पूरी तरह से मानव निर्मित ऑप्शन है और इसमें मानव कोशिकाएं (Human Cells) नहीं होती हैं। यह लैब में तैयार किया गया एक मॉलिक्यूल्स होता है जो ऑक्सीजन का संचार करके ब्लड कोशिकाओं के काम की नकल करते हैं। इसे मुख्य रूप से आपातकालीन उपयोग या सैन्य चिकित्सा के लिए डिजाइन किया गया है, जहां तत्काल ऑक्सीजन स्पलाई की आवश्यकता होती है लेकिन ब्लड के ग्रुप्स का मिलान करना मुश्किल होता है।

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उदाहरण के लिए अमेरिकी मिलिट्री ने एरिथ्रोमर (ErythroMer) डेवलप करने के लिए 46 मिलियन डॉलर का निवेश किया है, जो एक सिंथेटिक ब्लड का विकल्प है। इसे बिना किसी रेफ्रिजरेशन के यूनिवर्सली रूप से कैंपीटेबल और स्टेबल बनाया गया है। इस प्रोडक्ट पर अभी भी रिसर्च और ट्रायल चल रहा है ताकि इसकी सुरक्षा और प्रभावशीलता स्थापित की जा सके। दूसरी ओर लैब में विकसित ब्लड शरीर के बाहर एक नियंत्रित वातावरण में मानव रेड ब्लड सेल्स को विकसित करके बनाया जाता है।

लैब में विकसित बल्ड सेल्स अधिक प्रभावी

ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के प्रोफेसर सेड्रिक घेवार्ट ने कहा कि एक बार उपलब्ध होने पर लैब में विकसित बल्ड सेल्स कुछ चिकित्सा मामलों के उपचार को और अधिक प्रभावी बना सकती हैं। उदाहरण के लिए प्रयोगशाला में विकसित प्लेटलेट्स ल्यूकेमिया रोगियों को दिए जाने वाले प्लेटलेट्स की तुलना में ट्रॉमा के रोगियों में ब्लीडिंग को रोकने में बेहतर साबित हो सकते हैं। क्योंकि ऐसे मरीजों में ब्लीडिंग रोकने के लिए प्लेटलेट्स चढ़ाए जाते हैं।

वैज्ञानिक आर्टिफिशियल ब्लड बनाने के कितने करीब हैं?

लैब में विकसित या सिंथेटिक ब्लड प्रोडक्ट अभी केवल रिसर्च और डेवलपमेंट स्टेज में हैं। यूके में 2022 में किए गए एक क्लिनिकल ट्रायल के दौरान ह्यूमन वालंटियर्स में लेब में विकसित रेड ब्लड सेल्स को ट्रांसफर किया गया था। इस दौरान लैब में डेवलप ब्लड के सेफ्टी स्टैंडर्ड और कितने समय तक यह ठीक रहता है इसका आकलन किया गया था। इस क्षेत्र में यह एक माइलस्टोन साबित हुआ था। हालांकि, इस प्रोडक्ट को कॉमर्शियल यूज के लिए मेडिकली अप्रूव्ड किये जाने से पहले और अधिक ट्रायल की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त लैब में विकसित ब्लड का उत्पादन वर्तमान में डोनेट किए गये ब्लड की तुलना में बहुत अधिक महंगा है।

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Edited By

Satyadev Kumar

First published on: Mar 09, 2025 07:09 PM

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