वैज्ञानिक वर्षों से चंद्रमा पर बस्तियां बसाने का सपना देख रहे हैं। यह दावा दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है, क्योंकि वहां पानी की मौजूदगी के पुख्ता सबूत मिले हैं। वह भी ऐसी जगह जहां सीधी धूप आती हो। पृथ्वी की तरह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने तो यहां तक दावा किया है कि कुछ बरसों बाद वहां इंसान रहना शुरू कर देंगे। अब अगर इंसान वहां पहुंचेगा तो उसे आने-जाने के लिए किसी वाहन की जरूरत तो पड़ेगी ही। सड़कें भी चाहिए, लेकिन ये इतना आसान नहीं है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें आप चांद पर एक कार को दौड़ते हुए देख सकते हैं। जानें कैसे मुमकिन होगा ये सब…
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“Where we’re going we DO need roads!” 🌚
To keep abrasive, sticky, lunar dust at bay on the Moon, astronauts will need paved roads and landing pads.
---विज्ञापन---But how can we build roads on the Moon?
🔗 https://t.co/OXsm2UckI9 pic.twitter.com/ieCgzJ3Y8a
— ESA (@esa) October 22, 2023
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बड़ा मुश्किल होगा चांद पर कार चलाना
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने वीडियो को कैप्शन दिया है, “हम जहां जा रहे हैं, हमें सड़कों की जरूरत है!” चंद्रमा से किरकिरी, चिपचिपी, धूल भरी चीजों को दूर रखने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को पक्की सड़कों और लैंडिंग पैड की आवश्यकता होगी, लेकिन हम चांद पर सड़कें कैसे बना सकते हैं? इस वीडियो में देखें। वीडियो में एक क्लिप खुलती है, जिसमें आप चांद की सतह पर एक कार को चलते हुए देख सकते हैं। आप देख रहे हैं कि वहां कार चलाना कितना कठिन है। ऐसा लगा मानो कार रेत पर चलाई जा रही हो। वह नीचे खींच रही है। ऐसे में चलने के लिए सड़क की जरूरत होगी, लेकिन यहां सड़क कैसे बनेगी? तो इसका उत्तर है लूनर रोड। वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब अंतरिक्ष यात्री दोबारा चंद्रमा की सतह पर पहुंचेंगे तो संभवत: वे पैदल चलने की बजाय गाड़ी चलाना पसंद करेंगे। ऐसे में चंद्रमा की धूल हटाने के लिए चंद्रमा रोड का इस्तेमाल किया जाएगा।
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चिपचिपी धूल हटाने का तरीका मिल गया
साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर जमा चिपचिपी धूल को हटाने का एक तरीका ढूंढ लिया है। इसे लेजर से पिघलाकर सड़क बनाई जाएगी। आपको बता दें कि जब अपोलो मिशन गया था तो इस धूल के कारण उपकरण और स्पेससूट क्षतिग्रस्त हो गए थे। अपोलो 17 चंद्र रोवर का फेंडर धूल से इतना ढका हुआ था कि अधिक गरम होने से इसके क्षतिग्रस्त होने का खतरा था। हालांकि, बाद में अंतरिक्ष यात्रियों ने इसे ठीक कर लिया। इसी तरह सोवियत संघ का लूनोकोड 2 रोवर भी अधिक गर्म होने के कारण नष्ट हो गया था। क्योंकि इसका रेडिएटर मिट्टी से ढका हुआ था।
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चंद्रमा की सतह पर पक्की सड़क बनाने के लिए भी जुगत
अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा निर्मित मॉडल में, आप चंद्र लैंडर में स्थापित थ्रस्टर्स को सतह को छूते ही टनों धूल उड़ाते हुए देख सकते हैं। इसके अलावा, यह लैंडिंग के आसपास के पूरे क्षेत्र को कवर भी प्रदान करता है। सबसे बड़ी जरूरत सड़कों और लैंडिंग पैड्स को इस धूल से बचाने की होगी, इसीलिए रेत पिघलाने का विचार आया। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की टीम ने चंद्रमा की सतह पर पक्की सड़क बनाने के लिए पहला कृत्रिम चंद्रमा विकसित किया। उसकी सतह पर वही धूल डाल दी गई। धूल को हटाने और एक ठोस कांच जैसी सतह बनाने के लिए 12 किलोवाट कार्बन डाइऑक्साइड लेजर का उपयोग किया गया। नतीजा चौंकाने वाला था। वैज्ञानिक का यह प्रयोग बेहद सफल रहा।