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नए शोध में हुआ खुलासा, शरीर में गुपचुप तरीके से बढ़ती है ये खतरनाक बीमारी

Parkinson Diseases: खतरनाक पार्किंसंस रोग पर हुई एक रिसर्च में पता लगा है कि यह बीमारी अपने लक्षण दिखाने से पहले शरीर में लगभग 10 वर्षों तक गुपचुप तरीके से बढ़ती है। यही वजह है कि समय रहते इसका पता नहीं लग पाता और अंदर ही अंदर शरीर को नुकसान होने लगता है। नेचर कम्युनिकेशंस […]

Edited By : Sunil Sharma | Updated: Jul 19, 2023 16:42
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Image Credit: commons.wikimedia.org

Parkinson Diseases: खतरनाक पार्किंसंस रोग पर हुई एक रिसर्च में पता लगा है कि यह बीमारी अपने लक्षण दिखाने से पहले शरीर में लगभग 10 वर्षों तक गुपचुप तरीके से बढ़ती है। यही वजह है कि समय रहते इसका पता नहीं लग पाता और अंदर ही अंदर शरीर को नुकसान होने लगता है। नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार पार्किंसंस रोग मस्तिष्क में डोपामिनर्जिक न्यूरॉन्स को प्रभावित करता है। इसकी वजह से शरीर पर नियंत्रण समाप्त होने लगता है और अलग-अलग समस्याएं सामने आने लगती हैं।

इस बारे में अधिक विस्तार से जानने के लिए यूनिवर्सिटी डी मॉन्ट्रियल के न्यूरोसाइंटिस्ट लुइस-एरिक ट्रूडो के नेतृत्व में एक टीम गठिन की गई जिसके चूहों पर पार्किंसंस रोग (Parkinson) का प्रभाव जानने के लिए कई प्रयोग किए। रिसर्च टीम ने पाया कि चूहों के मस्तिष्क में डोपामाइन रसायन की सक्रियता कम देखी गई जो मस्तिष्क को पूरी तरह से नुकसान पहुंचाती है। उल्लेखनीय है कि डोपामाइन एक केमिकल मैसेंजर है जो दिमाग को सक्रिय रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पार्किंसंस रोग में मस्तिष्क में डोपामाइन का स्तर लगातार कम हो जाता है।

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Parkinson को लेकर वैज्ञानिकों की प्रचलित मान्यताओं के विरुद्ध रहे नए नतीजे

ट्रूडो ने कहा कि रिसर्च के नतीजे हमारी प्रारंभिक परिकल्पना के खिलाफ थे, लेकिन विज्ञान में अक्सर ऐसा ही होता है और इसने हमें मस्तिष्क में डोपामाइन वास्तव में क्या करता है, इसके बारे में हमारी मान्यताओं को एक बार फिर से जांचने-परखने के लिए मजबूर किया है। आनुवंशिक हेरफेर का उपयोग कर टीम ने इन कोशिकाओं की सामान्य गति में इस रासायनिक संदेशवाहक डोपामाइन को जारी करने के लिए न्यूरॉन्स की क्षमता को समाप्त कर दिया।

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इस प्रयोग के बाद उन्हें उम्मीद थी कि चूहों में मोटर फंक्शन संबंधी दिक्कतें आएंगी जैसा कि पार्किंसंस रोगियों में होता है। परन्तु आश्चर्यजनक रूप से ऐसा कुछ नहीं हुआ वरन चूहों ने चलने-फिरने की बिल्कुल सामान्य क्षमता दिखाई। इस बीच मस्तिष्क में समग्र डोपामाइन स्तर के माप से पता चला कि इन चूहों के मस्तिष्क में डोपामाइन का बाह्य कोशिकीय स्तर सामान्य था।

इस नतीजों के आधार पर ही वैज्ञानिकों ने माना कि मस्तिष्क में किसी भी गड़बड़ी के लिए डोपामाइन का लो लेवल होना जरूरी है। संभवतया इसी वजह से पार्किंसंस रोग के शुरुआती चरणों में मस्तिष्क में बेसल डोपामाइन का स्तर कई वर्षों तक पर्याप्त रूप से उच्च बना रहता है। यह केवल तब होता है जब न्यूनतम सीमा पार हो जाती है। शोध के आधार पर बीमारी के प्रभावी उपचार की खोज की जा सकेगी।

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Edited By

Sunil Sharma

First published on: Jul 19, 2023 04:40 PM

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