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Lab-Grown मिनी ब्रेन ने किया कमाल! स्पेस से लौटकर किया हैरान

कुछ साल पहले साइंटिस्ट ने कुल लैब ग्रोन ब्रेन को पेश किया था। इसमें से एक को लगभग एक महीने स्पेस स्टेशन में रखा गया। इसका जो रिजल्ट सामने आया है, उसने सांइटिस्ट को चौंका दिया है। आइए इसके बारे में जानते हैं।

Edited By : Ankita Pandey | Updated: Dec 20, 2024 21:13
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प्रतिकात्मक फोटो

Lab Grown Mini Brain: साइंस अक्सर ऐसा अजूबे कर देता है, जिसे देखकर हम हैरान हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ एक बार फिर सामने आया है। कुछ साल पहले साइंटिस्ट ने ब्रेन सेल और न्यूरॉन्स का इस्तेमाल करके लैब ग्रोन मिनी ब्रेन बनाया है, जिसे उन्होंने ऑर्गेनोइड्स नाम दिया। बता दें कि वैज्ञानिकों ने यह समझने की कोशिश की कि माइक्रोग्रैविटी इन ब्रेन को कैसे प्रभावित करेगी। ऐसे में इनको कुछ समय के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भेजा गया। हालांकि जब यह पृथ्वी पर वापस लौटा तो साइंटिस्ट इसके विकास को देखकर हैरान थे। आइए इसके बारे में जानते हैं।

 स्पेस में गए लैब ग्रोन मिनी ब्रेन

अमेरिकी रिसर्चर्स ने 2019 में इस ऑर्गेनोइड को  इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन  पर भेजा, जहां इसे एक महीने तक रखा गया। जब यह पृथ्वी पर वापस लौटा तो रिसर्च ने मिनी ब्रेन का अध्ययन  किया और रिजल्ट देखकर चौंक गए। शोधकर्ता ने बताया कि हफ्तों तक भारहीनता का अनुभव करने के बावजूद भी ये मिनी ब्रेन स्वस्थ थे। इसके अलावा रिसर्चर्स ने इसमें कुछ ऐसे बदलाव भी देखे जो पृथ्वी पर छोड़े गए ऑर्गेनोइड्स में नहीं देखे गए थे।

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तेजी से हुए मैच्योर

रिसर्चर्स ने देखा कि स्पेस में भेजे गए ऑर्गेनोइड्स स्पेस में रहने के तेजी से मैच्योर हुए हैं। इतना ही नहीं उनकी ग्रोथ पृथ्वी पर मौजूद ऑर्गेनोइड्स की तुलना में बहुत तेज थी। स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट की माइक्रोबायोलॉजिस्ट जेनी लॉरिंग ने बताया कि यह बहुत आश्चर्यजनक था कि ये कोशिकाएं स्पेस में जीवित रहीं।

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रिसर्चर्स का मानना है कि यह प्रयोग विशेष रूप से जरूरी था क्योंकि उन्होंने मस्तिष्क विकारों वाले ऑर्गेनोइड का भी उपयोग किया था। यानी इससे आने वाले समय में इस तरह के विकारों पर काम किया जा सकता है।

क्यों किया गया एक्सपेरिमेंट?

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन  यूएस नेशनल लेबोरेटरी के मॉलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट डेविड मोरोटा की टीम ने मानव मस्तिष्क पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव की जांच करने के लिए यह अध्ययन किया। वे समझना चाहते थे कि पार्किंसंस रोग जैसे मस्तिष्क विकार न्यूरॉन्स को कैसे प्रभावित करते हैं। हालांकि, उन्हें जो परिणाम मिले वे वास्तव में आश्चर्यजनक थे।

ऑर्गेनोइड को प्रयोगशाला में मानव प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल का उपयोग करके बनाया गया था, जिन्हें हेल्दी डोनर के साथ-साथ पार्किंसंस रोग वाले लोगों के ब्रेन से लिया गया था। कुछ टिशू में माइक्रोग्लिया नामक मस्तिष्क प्रतिरक्षा कोशिकाओं को भी जोड़ा गया था। यह स्पष्ट था कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण का दोनों प्रकार के ऑर्गेनोइड पर अलग-अलग प्रभाव होगा।

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Edited By

Ankita Pandey

First published on: Dec 20, 2024 09:13 PM

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