ISRO’s 100th Historic Launch: भारत अपने स्पेस प्रोग्राम में एक और खास और ऐतिहासिक क्षण जोड़ने जा रहा है, क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 29 जनवरी को सुबह 6:23 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SHAR), श्रीहरिकोटा से अपने 100वें मिशन की लॉन्चिंग के लिए तैयार है। इस लॉन्च में GSLV-F15 रॉकेट का उपयोग करते हुए NVS-02 सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में इंस्ट्रॉल किया जाएगा। आइए इसके बारे में जानते हैं।
NavIC सिस्टम को करेगा मजबूत
यह लॉन्च भारत के स्वदेशी नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन (NavIC) सिस्टम को और मजबूत करेगा। GSLV-F15 का यह लॉन्च GSLV रॉकेट की 17वीं उड़ान है। वहीं यह पूरी तरह से स्वदेशी क्रायोजेनिक स्टेज के साथ इसकी ग्यारहवीं ऑपरेशनल उड़ान होगी। यह लॉन्च श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड (SLP) से किया जाएगा, जिसमें 3.4 मीटर के डायमीटर वाले मैटल पेलोड फेयरिंग का उपयोग किया जाएगा। मिशन का प्राइमरी गोल एनवीएस-02 सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में इंस्ट्रॉल करना है।
The GSLV-F15 rocket has been rolled out to the Second Launch Pad at SHAR ahead of its launch on January 29!! 🚀#ISRO #GSLVF15 pic.twitter.com/dYCgrZuwCV
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क्या है NavIC?
NavIC को नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन कहा जाता है, जिसे ISRO ने डेवलप किया है। बता दें कि यह धरती के ऑर्बिट में आठ सैटेलाइट का एक ग्रुप है। सीधी भाषा में कहें तो यह भारत का खुद का नेविगेशन सैटेलाइट है, जो GPS की तरह काम करता है। ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम या GPS अमेरिका का सिस्टम है। मगर NavIC सीरीज के सैटेलाइट लॉन्च के साथ ही भारत के पास खुद का नेविगेशन सैटेलाइट हो गया, यानी कि हमें अमेरिका या किसी अन्य देश के सैटेलाइट पर निर्भर होने की जरूरत नहीं है।
NavIC भारत का रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है, जिसे सही पोजिशन, वेलोसिटी और टाइमिंग (PVT) सर्विस देने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सिस्टम भारत और इसके 1,500 किलोमीटर के दायरे में आने वाले एरिया को कवर करता है।
NavIC दो तरह की सर्विसेज देता है। पहली सेवा स्टैंडर्ड पोजिशनिंग सर्विस (SPS) है, जो सर्विस 20 मीटर से बेहतर पोजिशन एक्यूरेसी देती है। हालांकि, रिस्ट्रिक्टेड सर्विस एक खास नेविगेशन क्षमताएं देती है।
NVS-02 सैटेलाइट NavIC की दूसरी पीढ़ी का सैटेलाइट है, जो मॉडर्न सुविधाओं के साथ आती है। इसका वजन 2,250 किलोग्राम है और इसमें लगभग 3 किलोवाट की पावर हैंडलिंग कैपेसिटी है। यह सैटेलाइट L1, L5, और S बैंड में नेविगेशन पेलोड और C-बैंड में रेंजिंग पेलोड की सुविधा के साथ आती है। पोजिशन की बात करें तो यह 111.75°E पर पोजिशन लेगा और IRNSS-1E की रिप्लेस करेगा।
डिजाइन और टेस्टिंग
NVS-02 सैटेलाइट को इसरो के यूआर सैटेलाइट सेंटर (URSC) में डिजाइन और डेवलप किया गया है। इसमें स्वदेशी और इम्पोर्टेड एटॉमिक क्लॉक्स का कॉम्बिनेशन है, जो सही टाइम मैनेजमेंट की जिम्मेदारी लेता है। इस सैटेलाइट ने स्पेस कंडीशन्स में ऑप्टिमल परफॉर्मेंस के लिए थर्मोवैक और डायनामिक टेस्ट जैसे कई कठोर टेस्ट को पास किया है।
GSLV-F15 मिशन
इसरो का GSLV-F15 मिशन केवल सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 100वां लॉन्च ही नहीं है, बल्कि यह भारत की स्वदेशी स्पेस तकनीकी और नेविगेशन सिस्टम के विकास के प्रति इसके काम और प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। इससे पहले NVS-01 29 मई 2023 को लॉन्च किया गया था, जो NavIC की दूसरी पीढ़ी का पहला सैटेलाइट था। इसने स्वदेशी एटॉमिक क्लॉक के साथ उड़ान भरी थी।
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