Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के प्रक्षेपण के लिए पूरी तरह से तैयार है। अंतरिक्ष यान ज्यादा ईंधन, कई नई तकनीकों से सुसज्जित और चंद्रयान -2 की तुलना में बड़े लैंडिंग प्लेस के साथ भेजा जा रहा है। इसरो का दावा और उम्मीद है कि चंद्रयान की चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कराई जाएगी।
आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च होने वाला चंद्रयान-3, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत को चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बना देगा। इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 शुक्रवार को लॉन्चिंग के करीब एक महीने बाद चंद्रमा की कक्षा में पहुंचेगा। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने की उम्मीद है।
Chandrayaan-3 के लिए ये है लक्ष्य
अंतरिक्ष यान को श्रीहरिकोटा में SDSC SHAR से LVM3 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया जाएगा। इसरो के अनुसार, प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर कॉन्फिगरेशन को 100 किमी की चंद्र कक्षा में ले जाएगा, जहां लैंडर अलग हो जाएगा और सुलभ लैंडिंग का प्रयास करेगा। इसके लिए इसरो ने रिहर्सल भी की है।
Chandrayaan-3 mission:
The ‘Launch Rehearsal’ simulating the entire launch preparation and process lasting 24 hours has been concluded.---विज्ञापन---Mission brochure: https://t.co/cCnH05sPcW pic.twitter.com/oqV1TYux8V
— ISRO (@isro) July 11, 2023
चंद्रमा पर लैंडिंग के बाद उद्देश्य
चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष यान को सुरक्षित रूप से उतारने और एक रोवर को चंद्रमा की सतह पर घुमाने की भारतीय क्षमता को दिखाना है। रोवर चंद्रमा की संरचना और भूविज्ञान से जुड़े डेटा का इकट्ठा करेगा।
Chandrayaan-3 के लिए चुनौतियां
- चंद्रमा पर उतरना एक जटिल और चुनौतीपूर्ण काम है। जुलाई 2019 को चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष यान चंद्रयान -2 को उतारने के भारत के प्रयास को बड़ा झटका लगा था। विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरने के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
- अब इसरो ने चंद्रयान-3 को ज्यादा ईंधन ले जाने की क्षमता के साथ डिजाइन किया है, जो इसे दूर तक यात्रा करने, फैलाव को संभालने या यदि आवश्यक हो तो वैकल्पिक लैंडिंग साइट पर जाने की क्षमता देगा।
- इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने मीडिया को बताया कि हमने बहुत सारी विफलताएं जैसे, सेंसर, इंजन, एल्गोरिदम और गणना विफलताएं देखी हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि यान अपनी गति और दर पर ही उतरे।
- इसरो प्रमुख ने कहा कि विक्रम लैंडर को यह सुनिश्चित करने के लिए संशोधित किया गया है कि यह चाहे किसी भी स्थिति में उतरे, बिजली पैदा करे। लैंडर की उच्च वेग झेलने की क्षमता का भी परीक्षण किया गया है।