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Yoshoda Jayanti 2025: यशोदा जयंती व्रत से पहले करें ये काम, भगवान कृष्ण भी होंगे प्रसन्न, बरसेगी कृपा

Yoshoda Jayanti 2025: फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मां यशोदा जयंती मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह पावन व्रत 18 फरवरी को रखा जाएगा। आइए जानते हैं यशोदा जयंती व्रत का धार्मिक महत्व, साथ ही इस व्रत के दौरान कौन-कौन से कार्य करने चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Feb 15, 2025 19:28
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Yoshoda Jayanti 2025: फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मां यशोदा जयंती मनायी जाती है। इस तिथि को भगवान कृष्ण का लालन-पालन करने वाली मां यशोदा का जन्म हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण को मां देवकी ने जन्म दिया था, लेकिन उनका भरण-पोषण गोकुल में नंद बाबा के यहां मां यशोदा ने किया था। हिंदू धर्म में मां यशोदा को बहुत आदर और सम्मान दिया जाता है। इसलिए फाल्गुन कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मां यशोदा और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। इस साल यह व्रत 18 फरवरी, 2025 को रखा जाएगा। आइए जानते हैं, यशोदा जयंती व्रत का क्या महत्व है, इस व्रत में क्या करें, क्या नहीं करें?

यशोदा जयंती का महत्व

यशोदा जयंती एक पावन हिंदू त्योहार है, जो माता यशोदा और भगवान कृष्ण के बीच के अटूट प्रेम और ममता के बंधन को समर्पित है। यह पर्व मुख्य रूप से माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी आयु, स्वास्थ्य और सुखी जीवन की कामना के लिए मनाया जाता है। यह व्रत अधिकतर माताएं अपने संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए रखती हैं। यूं तो यह व्रत उत्तर भारत में भी रखा जाता है, लेकिन गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों में इसे बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ एक त्योहार की तरह मनाया जाता है। यह व्रत मां की ममता और बच्चे प्रति के प्रति उनके असीम प्यार के महत्व को सामने लाता है।

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व्रत रखने से पहले करें ये काम

यशोदा जयंती व्रत को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ और पुण्यदायी माना जाता है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से भक्तों को माता यशोदा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। व्रत का आरंभ करने से पहले संकल्प लेना आवश्यक होता है। संकल्प के दौरान माता यशोदा और भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करना चाहिए और व्रत को पूर्ण श्रद्धा और नियमों के साथ करने का प्रण लेना चाहिए। व्रत के दिन संयम और सात्त्विकता का पालन करना जरूरी होता है।

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व्रत से पहले का आहार नियम

प्रचलित मान्यता के अनुसार, यशोदा जयंती के दिन व्रत रखने से पहले मिठाई और फल खाने की परंपरा होती है। यह माना जाता है कि व्रत प्रारंभ करने से पहले अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए, अन्यथा व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। यह व्रत निर्जला रखने से अधिक फलदायी माना जाता है, लेकिन यदि किसी के लिए निर्जला व्रत कठिन हो, तो फलाहार भी किया जा सकता है।

तुलसी पूजन करना न भूलें

यशोदा जयंती के दिन व्रत रखने से पहले तुलसी माता की विधिवत पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। तुलसी माता भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय हैं और बिना तुलसी पत्र के कोई भी पूजा या भोग अधूरा माना जाता है। इसलिए इस व्रत का संकल्प लेने से पहले तुलसी पूजन अवश्य करना चाहिए, जिससे व्रत का पुण्य और भी अधिक बढ़ जाता है। इसलिए यशोदा जयंती व्रत की शुरुआत से पहले तुलसी पूजन करना आवश्यक है, ताकि व्रत और पूजा का प्रभाव अधिक शुभकारी हो और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त हो सके।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Shyam Nandan

First published on: Feb 15, 2025 06:53 PM

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