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Religion

सबसे पहले न करें शिवलिंग की पूजा, जानें क्यों अंत में करने का है नियम?

Sawan 2025: अक्सर लोग शिव मंदिर में जाने के तुरंत बाद शिवलिंग की पूजा करने लगते हैं, जो कि बिल्कुल गलत है। कभी भी पूजन भगवान शिव से शुरू नहीं किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव का पूजन सबसे अंत में किया जाता है। आइए जानते हैं कि इसके पीछे का क्या कारण है?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jul 11, 2025 13:31
Shiv Pariwar
Credit- news24 Gfx

Sawan 2025: हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। सावन मास, शिवरात्रि, और अन्य पवित्र अवसरों पर शिव भक्त भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार, शिव पूजा से पहले भगवान गणेश, माता पार्वती और नंदी का पूजन करना अनिवार्य माना जाता है। यह परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे गहरे आध्यात्मिक और शास्त्रीय कारण भी हैं।

हिंदू शास्त्रों जैसे शिव पुराण, लिंग पुराण, स्कंद पुराण,और अग्नि पुराण में शिव पूजा के नियमों और क्रम का उल्लेख किया गया है। इन ग्रंथों के अनुसार, शिव की पूजा कभी अकेले नहीं की जाती है, उनकी पूजा पूरे परिवार के साथ ही की जाती है। आइए जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है और सबसे पहले किसकी पूजा की जाती है?

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भगवान गणेश से होती है शुरुआत

सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। स्कंद पुराण के अध्याय 12 गणेश खंड और गणेश पुराण के अनुसार, भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना गया है। वे सभी कार्यों में विघ्नों को दूर करने वाले और सिद्धि प्रदान करने वाले हैं। शिव पूजा में यदि कोई त्रुटि या बाधा हो, तो गणेश जी उसे दूर करते हैं। इसके साथ ही शिव पुराण की रुद्र संहिता के खंड 4 के अध्याय 12-14 में बताया गया है कि गणेश जी भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं।

उनकी पूजा से शिव परिवार की कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में उल्लेख है कि सभी यज्ञ, हवन और पूजा में गणेश जी का प्रथम पूजन करने का विधान ऋषियों द्वारा स्थापित किया गया है ताकि कार्य निर्विघ्न पूर्ण हो। भगवान गणेश जी बुद्धि, विवेक और समृद्धि के दाता हैं। उनकी पूजा से भक्त का मन एकाग्र होता है, और वह शिव पूजा के लिए मानसिक और आध्यात्मिक रूप से तैयार होता है।

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ऐसे करें पूजा

गणेश जी को दूर्वा, मोदक, और लाल पुष्प अर्पित करें। इसके साथ ही ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का 108 बार जाप करें। शिवलिंग के समीप गणेश जी की मूर्ति या यंत्र स्थापित करें।

भगवान गणेश के बाद माता पार्वती का करें पूजन

शिव पुराण की उमासंहिता, अध्याय 5 और देवी भागवत पुराण के स्कंध 9, अध्याय 1-3 में माता पार्वती को शिव की अर्धांगिनी और उनकी शक्ति स्वरूप बताया गया है। शिव और शक्ति का एकीकरण ही सृष्टि का आधार है। इस कारण शिव पूजा के साथ माता पार्वती की पूजा अनिवार्य है।

लिंग पुराण के अध्याय 11 में कहा गया है कि बिना पार्वती की पूजा के शिव पूजा अधूरी मानी जाती है, क्योंकि शिव और शक्ति एक-दूसरे के पूरक हैं। मार्कण्डेय पुराण में भी कहा गया है कि माता पार्वती की पूजा से भक्तों को सौभाग्य, समृद्धि और वैवाहिक सुख प्राप्त होता है, जो शिव पूजा के फल को और बढ़ाता है। माता पार्वती करुणा, प्रेम और शक्ति की प्रतीक हैं। उनकी पूजा से भक्त का हृदय निर्मल होता है और वह शिव की भक्ति में पूर्ण समर्पण कर पाता है।

कैसे करें पूजा?

माता पार्वती को सुहाग की सामग्री (सिंदूर, मेहंदी, चूड़ियां) और लाल पुष्प अर्पित करें। इसके साथ ही ‘ॐ उमायै नमः’ या ‘ॐ पार्वत्यै नमः’ का जाप करें। शिवलिंग के बाईं ओर माता पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

नंदी का करें पूजन

शिव पुराण की वायवीय संहिता, अध्याय 15 में नंदी को भगवान शिव का परम भक्त और वाहन बताया गया है। वे शिव के द्वारपाल और उनके गणों के प्रमुख हैं। नंदी की पूजा के बिना शिव मंदिर में प्रवेश अधूरा माना जाता है। लिंग पुराण के अध्याय 22 के अनुसार नंदी शिव की आज्ञा का पालन करते हैं और उनकी सेवा में सदा तत्पर रहते हैं। उनकी पूजा से भक्त में भक्ति और समर्पण की भावना जागृत होती है।

अग्नि पुराण के अध्याय 53 के अनुसार, नंदी की पूजा करने से भक्त को शिव के समीप रहने का सौभाग्य प्राप्त होता है और उनकी प्रार्थना सीधे शिव तक पहुंचती है। नंदी भक्ति, नम्रता और समर्पण के प्रतीक हैं। उनकी पूजा से भक्त का अहंकार नष्ट होता है और वह शिव की कृपा के योग्य बनता है। नंदी को तिल, जौ, और हरे चारे के साथ पुष्प अर्पित करें। इसके साथ ही ‘ॐ नंदिकेश्वराय नमः’ का जाप करें। शिवलिंग के सामने नंदी की मूर्ति की पूजा करें और उनकी मूर्ति के कान में अपनी मनोकामना कहें।

शास्त्रों में बताया गया है पूजा का क्रम

शिव पुराण के कोटि रुद्र संहिता, अध्याय 12 और अग्नि पुराण अध्याय 60 में शिवलिंग की पूजा का क्रम बताया गया है। इसमें सबसे पहले भगवान गणेश फिर माता पार्वती और इसके बाद नंदी की पूजा करें। सबसे अंत में भगवान शिव का पूजन किया जाना चाहिए। अकेले शिवलिंग की पूजा से पूजन पूर्ण नहीं माना जाता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Jul 11, 2025 01:31 PM

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