---विज्ञापन---

Ganesh Puran Story: किसके श्राप के कारण गणेश जी को करना पड़ा दो कन्याओं से विवाह?

Ganesh Puran Story: हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जैसे लक्ष्मी धन की देवी हैं उसी तरह गजानन बुद्धि के देवता हैं। पुराणों में एक कथा का जिक्र मिलता है जिसके अनुसार गणेश जी जीवन भर शादी नहीं करना चाहते थे। आइए जानते हैं न चाहते हुए भी गणेश जी को क्यों करनी पड़ी शादी?

Edited By : Nishit Mishra | Sep 22, 2024 06:00
Share :
Why did Goddess Tulsi curse Lord Ganesha
Why did Goddess Tulsi curse Lord Ganesha

Ganesh Puran Story: देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती के पुत्र यानि गणेश की पूजा लक्ष्मी जी के साथ की जाती है। परन्तु गणेश जी की पत्नी का नाम रिद्धि और सिद्धि है। गणेश जी को दो कन्याओं के साथ विवाह क्यों करना पड़ा? इसके बारे में  शायद ही कोई जानता है। चलिए जानते हैं कि आखिर किसके शाप के कारण गणेश जी को दो शादियां करनी पड़ीं?

गणेश पुराण की कथा 

गणेश पुराण में वर्णित कथा के अनुसार एक बार भगवान गणेश गंगा जी के पावन तट पर श्री हरि की तपस्या कर रहे थे। कुछ समय बाद गंगा तट के किनारे जहां गणेश जी तपस्या में लीन थे वहां धर्मात्मज की कन्या देवी तुलसी अनेकों तीर्थ स्थानों का भ्रमण करने के बाद पहुंचीं । देवी तुलसी गणेश जी को देखते ही उनके रूप पर मोहित हो गईं। वह मन ही मन सोचने लगीं यह युवक कितना मनमोहक है। फिर वह गणेश जी के समीप गईं और बोली हे गजानन ! मुझे यह बताओ कि इस समय आप किस उद्देश्य से तपस्या कर रहे हैं?

---विज्ञापन---

ये भी पढ़ें-Mahabharat Katha: द्रौपदी के लिए क्यों नहीं हुई पांचों पांडवों में लड़ाई? द्रौपदी कैसे निभाती थी अपना पति धर्म?

देवी तुलसी की बातें सुनकर गणेश जी की तपस्या भंग हो गई। वह अपने सामने कन्या को देख हैरान हो गए।  वह मन ही मन सोचने लगे यह युवती कौन है? यह मेरे पास क्यों आई है? फिर देवी तुलसी से गणेश जी ने कहा हे देवी ! इस से पहले मैंने तुम्हें कभी नहीं देखा है। तुम कौन हो और यहां किस प्रयोजन से आई हो? मेरी तपस्या में विघ्न डालने का क्या कारण है?

---विज्ञापन---

देवी तुलसी का श्राप 

तुलसी बोली-मैं धर्मपुत्र की कन्या तुलसी हूं। आपको यहां तपस्या करते देखकर आ गई। यह सुनकर पार्वतीनन्दन ने कहा- देवी किसी की तपस्या में ऐसे विघ्न नहीं डालना चाहिए। ऐसा करने से सर्वथा अकल्याण ही होता है। प्रभु हरि तुम्हारा कल्याण करें। अब तुम यहां से चली जाओ। गणेश जी की बातें सुनकर देवी तुलसी ने अपनी व्यथा कही हे गजानन ! मैं मनोनुकूल वर की खोज में ही इस समय तीर्थाटन कर रही हूं। अनेक वर देखे, किन्तु आप पसंद आये। अतएव आप मुझे भार्या अर्थात पत्नी के रूप में स्वीकार कर मेरे साथ विवाह कर लीजिए।

ये भी पढ़ें-Garuda Purana: गरुड़ पुराण ने ये 5 काम करना बताया है वर्जित, एक भी किया तो नरक जाना तय!

तब गणेश जी बोले देवी ! विवाह कर लेना जितना सरल है, उतना ही कठिन उसके दायित्व का निर्वाह करना है। इसलिए विवाह तो दुख का ही कारण होता है। उसमें सुख की प्राप्ति कभी नहीं होती। विवाह में काम-वासना की प्रधानता रहती है, जो कि समस्त संशयों को उत्पन्न करने वाली है। अतएव हे देवी ! आप मेरी ओर से चित्त हटा लो। यदि सही से मन लगाकर खोज करोगी तो मुझसे अच्छे अनेक वर तुम्हें मिल जाएंगे।

दो कन्याओं से विवाह 

उसके बाद देवी तुलसी बोली- हे एकदन्त !  मैं आपको ही अपने मनोनुकूल देखती हूं इसलिए मेरी याचना को ठुकराकर निराश करने का प्रयत्न न करें। मेरी प्रार्थना  स्वीकार कर लीजिए। फिर गणेश जी ने कहा परन्तु,मुझे तो विवाह ही नहीं करना है, ऐसे में मैं तुम्हारा प्रस्ताव कैसे स्वीकार कर सकता हूं? देवी ! मुझे क्षमा करो और कोई अन्य वर देखो। इसी में तुम्हारा कल्याण निहित है। गणेश जी के मुख से ऐसी बातें सुनकर देवी तुलसी क्रोधित हो उठी और उन्होंने गणेश जी को श्राप देते हुए कहा मैं कहती हूं आपका एक नहीं दो कन्याओं के साथ विवाह होगा। मेरा यह वचन मिथ्या नहीं हो सकता। ऐसा माना जाता है कि देवी तुलसी के श्राप के कारण ही गणेश जी का विवाह रिद्धि-सिद्धि नाम की दो कन्याओं के साथ हुआ।

ये भी पढ़ें-Jitiya Vrat 2024: एक दिन नहीं बल्कि 3 दिनों तक जितिया व्रत में इन 3 नियमों का पालन करना जरूरी, वरना पूजा रहती है अधूरी!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

 

 

HISTORY

Edited By

Nishit Mishra

First published on: Sep 22, 2024 06:00 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें