चेटी चंड, सिंधी नव वर्ष का पर्व है, जो भगवान झूलेलाल के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व सिंधी कैलेंडर के पहले महीने ‘चेत’ के पहले दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर मराठी नव वर्ष गुड़ी पड़वा के साथ ही पड़ता है। इस दिन को विशेष रूप से जल देवता वरुण देव के रूप में पूज्य और साईं उदेरोलाल के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं, इस वर्ष चेटी चंड कब मनाया जाएगा, सिंधी समाज के लिए इस पूजा का महत्व क्या है?
चेटी चंड का महत्व
सिंधी समुदाय के लिए चेटी चंड बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनके नव वर्ष की शुरुआत को चिन्हित करता है। चैत्र शुक्ल पक्ष की शुरुआत नए चंद्रमा से होती है। इस दिन को ‘चेटी चंड’ कहा जाता है। यह दिन जल देवता साईं उदेरोलाल, जिन्हें झूलेलाल के नाम से भी जाना जाता है, के प्रति आस्था और उनके द्वारा सिंधी समुदाय की रक्षा करने की याद में मनाया जाता है।
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कहा जाता है कि जब एक दुष्ट राजा ने सिंधी संस्कृति और धर्म को नष्ट करने की कोशिश की, तब जल देवता वरुण देव झूलेलाल के रूप में प्रकट हुए और समुदाय की रक्षा की। यही कारण है कि यह दिन श्रद्धा और कृतज्ञता का प्रतीक है।
कब है चेटी चंड 2025?
चेटी चंड का पर्व सिंधी समुदाय के लोग बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। वर्ष 2025 में चेटी चंड का पर्व रविवार 30 मार्च,2025 को मनाया जाएगा। चैत्र प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 मार्च 2025 को 04:27 PM बजे से होगी और यह 30 मार्च 2025 को 12:49 PM बजे समाप्त होगी।
चेटी चंड 2025 शुभ मुहूर्त
जहां तक चेटी चंड पूजा मुहूर्त की बात है, तो यह 30 मार्च, 2025 को 06:38 PM बजे से 07:45 PM बजे तक है। इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त को आप यहां देख सकते हैं:
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:41 AM से 05:27 AM तक
- अभिजित मुहूर्त: 12:01 PM से 12:50 PM तक
- विजय मुहूर्त: 02:30 PM से 03:19 PM तक
- अमृत काल: 02:28 PM से 03:52 PM तक
चेटी चंड की पूजा और अनुष्ठान
चेटी चंड के दिन सिंधी लोग विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। इस दिन, विशेष रूप से ‘अखो’ नामक अनुष्ठान किया जाता है, जिसमें चावल, दूध और आटे का मिश्रण जल में अर्पित किया जाता है। लोग झूलेलाल की मूर्तियों को नदी या झील के किनारे ले जाकर पूजा करते हैं और उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
बहुत से लोग अपनी ‘बहिराणा साहिब’ को लेकर जल देवता की पूजा करने जाते हैं। वे गेहूं के आटे से बने पांच बाती वाले दीपक जलाते हैं और आशीर्वाद लेने के लिए पल्लव गाते हैं। इसके बाद वे बहिराणा साहिब को पानी में डुबोते हैं और प्रसाद बांटते हैं। साथ ही, कई लोग दान का कार्य भी करते हैं, जैसे गरीबों को कपड़े और भोजन वितरित करना आदि।
चेटी चंड की विशेष परंपराएं
चेटी चंड पर एक और महत्वपूर्ण परंपरा बहिराणा साहिब जुलूस की होती है। इस जुलूस में नारियल के साथ एक सजाया हुआ कांस्य बर्तन, कपड़े, फूलों और झूलेलाल की मूर्ति होती है। इस जुलूस में लोग पारंपरिक सिंधी लोक नृत्य ‘छेज्ज’ करते हैं और जल देवता को ‘अखो’ अर्पित करते हैं। यह परंपरा झूलेलाल के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना पर आधारित है।
इसके अलावा, इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं, जो सिंधी संस्कृति और धरोहर को प्रदर्शित करते हैं। व्यापारी इस दिन नए खाता-बही खोलते हैं और परिवार, मित्रों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर पर्व का आनंद लेते हैं। मंदिरों और समूह भवनों में पूजा होती है, भक्ति गीत गाए जाते हैं और लोग उत्साह के साथ इस दिन का जश्न मनाते हैं।
पूजन के समय सभी लोग एक स्वर में जयघोष करते हुए कहते हैं- ‘चेटीचंड जूं लख-लख वाधायूं’। चेटीचंड के अवसर पर सिंधी समाज में नवजात शिशुओं का मंदिरों में मुंडन भी कराया जाता है। सिंधी समुदाय के लिए चेटी चंड सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर भी है, जो सिंधी समुदाय की एकता, आस्था और परंपराओं को दर्शाता है।
वास्तव में, यह दिन जल देवता झूलेलाल की उपासना, परिवारों के बीच एकता और सामूहिक खुशियों का प्रतीक है। यह पर्व हमें अपने पुराने रीति-रिवाजों और संस्कृति से जुड़ने का अवसर देता है और हर दिल में आस्था और उमंग का संचार करता है।
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