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पुरी जगन्नाथ रथयात्रा 7 जुलाई से, राजा के वंशज सोने के झाड़ू से करेंगे रास्ते की सफाई

Rath Yatra 2024: 'रथ महोत्सव' और 'गुंडिचा यात्रा' के नाम से प्रसिद्ध पुरी जगन्नाथ रथयात्रा 7 जुलाई से आरंभ होगी। रथयात्रा आरंभ होने से पूर्व यात्रा के रास्ते की सफाई सोने की झाड़ू से की जाती है। आइए जानते हैं, जगन्नाथ रथयात्रा से जुड़ी कुछ परंपराएं और रोचक जानकारियां।

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Jun 28, 2024 11:18
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Rath Yatra 2024: ओडिशा स्थित पुरी के जगन्नाथ मंदिर की विश्व प्रसिद्ध वार्षिक रथयात्रा हर साल आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि को आयोजित की जाती है। साल 2024 में यह तिथि 7 जुलाई को पड़ रही हैं। हिन्दू धर्म में पुरी के जगन्नाथ मंदिर को चार धामों में से एक माना गया है। कहते हैं, हर हिन्दू को जीवन में एक बार यहां की यात्रा जरूर करनी चाहिए। यदि आप यहां आना चाहते है, तो रथयात्रा उत्सव एक शानदार मौका हो सकता है। आइए जानते हैं, जगन्नाथ रथयात्रा से जुड़ी परंपराएं और रोचक जानकारियां।

इसलिए निकाली जाती है रथयात्रा

जगन्नाथ रथयात्रा को ‘रथ महोत्सव’ और ‘गुंडिचा यात्रा’ भी कहते हैं। इससे जुड़ी कथा यह है कि एक बार भगवान श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा ने नगर भ्रमण करने इच्छा जतायी। भगवान श्रीकृष्ण, शेषनाग के अवतार बड़े भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा ने अपने-अपने रथों पर सवार होकर नगर की यात्रा की। इस इस दौरान वे अपनी मौसी के घर भी गए। वहां से दसवें दिन वे फिर वापस आए। मान्यता है कि इसी स्मृति में रथयात्रा आयोजित की जाती है।

रथयात्रा से पहले होती है सोने के झाड़ू से सफाई

पुरी रथयात्रा की हर परंपरा और रिवाज बहुत रोचक है और इन परंपराओं को बिना किसी बदलाव के हर साल पूरी निष्ठा और भक्ति भाव से निभाया जाता है। इन्हीं रिवाजों में एक है, रथयात्रा के रास्ते की सोने की झाड़ू से सफाई। स्थापित परंपरा के अनुसार, रथयात्रा शुरू होने पहले वैदिक मंत्रों के जाप के बीच पुरी के राजा के वंशज सोने के हत्थे वाली झाड़ू से रास्ते को साफ करते हैं। इस अनुष्ठान के माध्यम से महाप्रभु जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा का आभार प्रकट करते है और नगर पर कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करते हैं। इसके बाद रथयात्रा निकाली जाती है।

रथयात्रा के रथों के नाम जानते हैं आप?

पुरी की जगन्नाथ रथयात्रा में तीन रथ होते हैं। एक महाप्रभु जगन्नाथ का, दूसरा बड़े भैया बलभद्र का और तीसरा देवी सुभद्रा का। भगवान बलराम रथ को ‘तालध्वज’ कहते हैं। देवी सुभद्रा के रथ को ‘दर्पदलन’ कहते हैं, वहीं, भगवान जगन्नाथ के रथ को ‘नंदीघोष’ कहते हैं। इन रथों के पहिए और ऊंचाई भी भिन्न-भिन्न होती है। देवी सुभद्रा के रथ में 12 पहिए होते हैं और इसकी ऊंचाई 42 फीट होती है। जबकि बलभद्रजी का रथ 43 फीट ऊंचा होता है और इसमें 14 पहिए लगे होते हैं। वहीं, भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिए होते है और यह 45 फीट ऊंचा होता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jun 28, 2024 11:18 AM

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