Lord Jagannath Rath Yatra: जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म का एक बड़ा और पवित्र त्योहार है, जो हर साल ओडिशा के पुरी में धूमधाम से मनाया जाता है। ये यात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को शुरू होती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र, और बहन सुभद्रा रथों पर सवार होकर अपने मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक नगर भ्रमण करते हैं।
आजकल यह यात्रा सिर्फ पुरी ही नहीं भारत के कई अन्य राज्यों के शहरों में भी आयोजित की जाती है। वहां भी प्रभु को रथ पर नगर भ्रमण कराया जाता है। ऐसे में अगर आप अपनी परेशानियों या समस्याओं का अंत करना चाहते हैं तो एक छोटा सा उपाय आप कर सकते हैं। आपको छेरा पहरा में अपना योगदान देना है। मान्यता है कि छेरा पहरा में योगदान देने वाले व्यक्ति की दरिद्रता समाप्त हो जाती है। उसकी लाइफ में अच्छे दिनों की शुरुआत हो जाती है।
क्या होती है छेरा पहरा?
जब उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है। तो छेरा पहरा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है। इस अनुष्ठान में पुरी के गजपति राजा, जो भगवान जगन्नाथ के पहले सेवक माने जाते हैं, सोने की झाड़ू से रथों के आगे रास्ता साफ करते हैं और चंदन युक्त जल छिड़कते हैं। स्कंद पुराण में कहा गया है कि भगवान जगन्नाथ सबके नाथ हैं, और उनके सामने राजा और आम व्यक्ति में कोई फर्क नहीं होता है।
हालांकि पुरी के अलावा अन्य जगहों पर जब यह यात्रा निकलती है तो लोग नॉर्मल झाड़ू का उपयोग करके भी इस अनुष्ठान को करते हैं। आपको भी रथ यात्रा के दौरान इसमें सहयोग करना है। माना जाता है कि इसमें संयोग करने से भगवान जगन्नाथ की कृपा प्राप्त होती है।
मिलते हैं ये लाभ
मान्यताओं के मुताबिक अगर को व्यक्ति रथ यात्रा के समय छेरा पहरा प्रक्रिया में अपना योगदान देता है तो उसके खराब दिनों का अंत हो जाता है। उसकी लाइफ से दरिद्रता दूर हो जाती है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में धन आगमन के रास्ते खुलते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा का रास्ता साफ करने वाला मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति करता है। इससे व्यक्ति के जीवन में नकारात्मकता का अंत हो जाता है। इसके साथ ही सुख और समृद्धि भी मिलती है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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