---विज्ञापन---

Garud Puran Story: मृत्यु के बाद कहां भटकती रहती है मृत आत्मा? गरुड़ पुराण में छिपा हुआ है रहस्य

Garud Puran Story: गरुड़ पुराण में आत्मा से जुड़े सभी रहस्यों के बारे में विस्तार से बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा पहले एक दिन के लिए यमलोक जाती है उसके बाद पुनः अपने घर लौट आती है और 47 दिनों तक मृत्युलोक और यमलोक के बीच भटकती रहती है।

Edited By : Nishit Mishra | Updated: Sep 25, 2024 18:53
Share :
garud puran, garud puran story

Garud Puran Story: आत्मा जब यमलोक जाती है तो उसे अपने कर्मों के हिसाब से स्वर्ग या नरक में स्थान मिलता है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा को यमलोक पहुंचने में 47 दिन का समय लगता है। चलिए जानते हैं इतने समय तक आत्मा कहां भटकती रहती है?

गरुड़ पुराण की कथा

गरुड़ पुराण में वर्णित कथा के अनुसार एक दिन पक्षीराज गरुड़ भगवान विष्णु से पूछते हैं कि हे प्रभु कृपया कर बताइए कि मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है? साथ ही ये भी बताइए कि मृत्यु के कितने दिनों बाद आत्मा यमलोक में प्रवेश करती है? उसके बाद भगवान विष्णु गरुड़ से कहते हैं जब किसी की मृत्यु होती है  तब वह आत्मा 47 दिनों तक इधर उधर भटकने और कई यातनाओं को सहने के बाद ही यमलोक पहुंचती है। उसके बाद भगवान विष्णु कहते हैं कि हे गरुड़ जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु नजदीक आती है तो सबसे पहले उसकी आवाज चली जाती है। इतना ही नहीं मरने से पहले सभी प्राणी को दिव्य दृष्टि मिलती है। इस दिव्य दृष्टि मिलने के बाद मनुष्य सारे संसार को एक रूप में देखने लगता है। उसकी सारी इन्द्रियां शिथिल हो जाती है।

---विज्ञापन---

यमदूत क्या करते हैं?

मृत्यु के समय यमलोक से दो यमदूत मनुष्य की आत्मा को लेने आते हैं। यमदूतों को देखते ही आत्मा डर से कांपने लगती है और आत्मा शरीर से बाहर निकल जाती है। जैसे ही आत्मा शरीर से बाहर निकलती है वैसे ही यमदूत आत्मा के गले में रस्सी बांध देते है और फिर वे आत्मा को लेकर यमलोक चले जाते हैं। गरुड़ पुराण की मानें तो यदि मरने वाली आत्मा पवित्र हो तो उसे परमात्मा स्वयं अपने वाहन पर बिठाकर ले जाते हैं। लेकिन जो आत्मा पापी होता है उसे गरम हवा और अंधेरे से होकर गुजरना पड़ता है। पापी आत्मा को यमलोक पहुंचने पर कई प्रकार की यातनाएं दी जाती है। फिर उसी दिन आत्मा को आकाश मार्ग से वापस उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है जहां उसने अपना शरीर त्यागा था। वापस आने के बाद अगर अंतिम संस्कार न हुआ हो तो आत्मा अपने शरीर में घुसने का प्रयास करती है लेकिन यमदूत के पाश से बंधे होने के कारण शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती। न चाहते हुए भी आत्मा स्वयं के मृत शरीर को अग्नि में जलते हुए देखती है।

वैतरणी नदी की यात्रा

गरुड़ पुराण के अनुसार 12 दिनों तक आत्मा अपनों के बीच ही रहती है। तेरहवें दिन जब आत्मा का पिंडदान किया जाता है तब उसे यमदूत एक बार फिर से लेने आ जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पिंडदान से सूक्ष्म शरीर को चलने की शक्ति मिलती है। फिर भी इसके बाद आत्मा का यमलोक तक का सफर कठिन ही रहता है। इसके बाद शुरू होती है वैतरणी नदी को पार करने की यात्रा। अगर मनुष्य ने जीते जी गौदान किया होगा तो उसी गाय की पूंछ पकड़ कर वह वैतरणी नदी को पार करता है। अन्यथा इस नदी को पार करते समय भी पापी जीवात्मा को कई यातनाओं से होकर गुजरना पड़ता है।

---विज्ञापन---

47 दिनों तक यहां रहती है आत्मा!

गरुड़ पुराण में वैतरणी नदी को गंगा नदी का रौद्र रूप कहा गया है। इस नदी से हमेशा आग की लपटें निकलती रहती है। इस नदी से गुजरते वक्त पापी आत्मा को कई प्रकार के खतरनाक जीवों का दंश सहना पड़ता है। इससे गुजरते समय आत्मा को ऐसा महसूस होता है मानो की जैसे कोई उसको इस नदी में डूबोना छह रहा हो। वैतरणी नदी पार करते समय पापी आत्मा को पीव से होकर गुजरना पड़ता है। इस तरह पापी जीवात्मा को इस नदी को पार करने में 34 दिन का समय लगता है। इसके बाद जीवात्मा यमदूतों के साथ यमलोक पहुंच जाती है।

ये भी पढ़ें-Rebirth Of Pandavas: किसके श्राप के कारण कलयुग में पांडवों को लेना पड़ा पुनर्जन्म? कहां जन्मे थे पांचों पांडव

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

HISTORY

Edited By

Nishit Mishra

First published on: Sep 25, 2024 06:53 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें