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Vidur Niti: बेहद अशुभ और प्रतिकूल होते हैं ये 5 जगह, यहां भूल से भी न बनाएं अपना घर

Vidur Niti: विदुर नीति आज के युग में भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी प्राचीन काल में थी। सही स्थान पर घर बनाना न सिर्फ भौतिक सुखों के लिए जरूरी है, बल्कि मानसिक और सामाजिक संतुलन के लिए भी अनिवार्य है। विदुर नीति के अनुसार, इंसान को 5 जगहों पर भूल से अपना आशियाना यानी घर नहीं बनाना चाहिए। आइए जानते हैं कि ये जगह कौन-सी हैं?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Shyamnandan Updated: Jun 18, 2025 10:12
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Vidur Niti: हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका अपना एक सुंदर और शांतिपूर्ण घर हो, लेकिन घर सिर्फ ईंट-पत्थरों से नहीं, बल्कि सही स्थान और सकारात्मक वातावरण से बनता है। महाभारत के एक प्रसिद्ध पात्र, नीति निर्धारक और महाज्ञानी विदुर ने अपनी नीति पुस्तक ‘विदुर नीति’ में 5 ऐसे स्थानों क जिक्र किया है, जहां इंसान को अपना घर नहीं बनाना चाहिए।

विदुर जी कहते हैं, घर बनाने का सपना हर किसी का होता है, लेकिन सपनों का आशियाना बनाना हर किसी का साकार नहीं होता है। वे बताते हैं कि इंसान को भूल से भी इन 5 जगहों पर अपना घर नहीं बनाना चाहिए। आपको बता दें कि इन 5 जगहों को विदुर जी ने रहने के लिए वर्जित माना है। आइए जानते हैं कि ये जगह कौन सी है और क्यों इनसे दूरी बनाना जरूरी है?

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जहां आजीविका का साधन न हो

विदुर के अनुसार, ऐसे स्थान पर घर बनाना जहां रोजगार या व्यापार के अवसर ही न हों, व्यर्थ है। बिना आय के स्रोत के जीवन चलाना कठिन हो जाता है। इसलिए बसने के लिए ऐसी जगह चुनें जहां कमाई के उचित साधन हों, जिससे परिवार का पालन-पोषण और जीवन-स्तर बेहतर हो सके।

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भय और असुरक्षा वाला क्षेत्र

अगर किसी स्थान पर हमेशा डर, अपराध या असुरक्षा का माहौल हो, तो वहां घर बनाना मानसिक रूप से तनावपूर्ण साबित हो सकता है। ऐसे माहौल में बच्चे और बुजुर्ग भी सुरक्षित महसूस नहीं करते। इसलिए निवास की जगह का चुनाव करते समय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

जहां कानून और समाज का डर न हो

विदुर कहते हैं कि जिस जगह के लोग कानून से नहीं डरते और सामाजिक मर्यादाओं का पालन नहीं करते, वहां का माहौल बिगड़ा हुआ होता है। ऐसे स्थान पर रहना आपके और आपके परिवार के लिए हानिकारक हो सकता है।

लोक लाज और नैतिकता की कमी

जहां लोगों में शर्म और लोक-लाज की भावना न हो, वहां सभ्यता और संस्कार का ह्रास होता है। ऐसे वातावरण में सम्मान, प्रतिष्ठा और सामाजिक विकास संभव नहीं है। अपने बच्चों के चरित्र निर्माण के लिए भी ऐसे स्थानों से दूर रहना चाहिए।

जहां परोपकार और त्याग की भावना न हो

विदुर नीति में बताया गया है कि जिस समाज में लोग केवल स्वार्थी हों और दूसरों के दुख-दर्द में भागीदार न बनें, वहां मानवीयता का कोई मूल्य नहीं होता। ऐसे वातावरण में आत्मिक शांति और सहयोग की भावना नहीं मिलती।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jun 18, 2025 10:12 AM

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