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Vat Savitri Vrat 2025: 26 या 27 मई, कब रखा जाएगा वट सावित्री व्रत? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है, जिस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए उपवास रखती हैं। चलिए जानते हैं साल 2025 में 26 या 27 मई, किस दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा।

Author Edited By : Nidhi Jain Updated: May 11, 2025 14:18
Vat Savitri Vrat 2025
वट सावित्री व्रत का महत्व

सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री के व्रत का खास महत्व है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और वट पेड़ यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज ने देवी सावित्री के पति सत्यवान के प्राणों को बरगद के नीचे ही लौटाया था। साथ ही उन्हें 100 पुत्रों का वरदान दिया था। इसी के बाद से महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री का व्रत और वट वृक्ष की पूजा करती आ रही हैं।

मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने और पूजा-पाठ करने से व्रती को यमराज देवता के साथ-साथ त्रिदेवों की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही प्रेम जीवन में मधुरता बढ़ती है। चलिए जानते हैं इस साल किस दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा। साथ ही आपको पूजा के शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में पता चलेगा।

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2025 में कब है वट सावित्री का व्रत?

वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। इस साल अमावस्या तिथि का आरंभ 26 मई 2025, वार सोमवार को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 27 मई 2025, वार मंगलवार को सुबह 08 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर 26 मई 2025, वार सोमवार को वट सावित्री अमावस्या का व्रत रखा जाएगा। जबकि 10 जून 2025 को वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा।

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26 मई 2025 के शुभ मुहूर्त

  • सूर्योदय- प्रात: काल 5:45
  • अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:57 से लेकर दोपहर 12:50 मिनट तक
  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 04:09 से लेकर 04:57 मिनट तक
  • राहुकाल- सुबह में 07:25 से लेकर 09:04 मिनट तक
  • अमृत काल- प्रात: काल में 03:24 से लेकर 04:49 मिनट तक

वट सावित्री व्रत की पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके पीले या लाल रंग की साड़ी पहनें और सोलह शृंगार करें।
  • हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें।
  • वट के पेड़ के नीचे सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति रखें और उनकी पूजा करें।
  • पेड़ में जल, अक्षत, फल, फूल और मिठाई अर्पित करें।
  • वृक्ष में रक्षा सूत्र (कलावा) बांधें और सात बार परिक्रमा करें।
  • हाथ में काले चने लेकर व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
  • ब्राह्मण को दान दें।
  • शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: May 11, 2025 02:18 PM

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