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वृंदावन के इस गांव के लोग जी रहे हैं द्वापर युग जैसा जीवन! लालटेन, हाथ पंखे और दाल-रोटी है एक मात्र सहारा

Tatiya Gaon Vrindavan: पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, श्री कृष्ण को समर्पित द्वापर युग में लोग बेहद सरल और सादा जीवन व्यतीत करते थे। जहां क्रोध, शक, लालच और मोह से परे लोग एक दूसरे के साथ प्रेम से रहते थे। हालांकि देश में आज भी एक ऐसा गांव मौजूद है। जहां लोग द्वापर युग जैसा जीवन जी रहे हैं।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Jul 16, 2024 14:32
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Tatiya Gaon Vrindavan

Tatiya Gaon Vrindavan: आज के समय में देश लगातार तरक्की कर रहा है। फोन, लैपटॉप, सोशल मीडिया, लाइट, एसी और तमाम इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स ने लोगों की जिंदगी को आसान बना दिया है। लेकिन आज के आधुनिक दौर में भी देश में कई ऐसी जगह हैं। जहां के लोग मॉडर्न लाइफस्टाइल की चकाचौंध से काफी दूर हैं। जहां आज भी लोग द्वापर युग जैसा जीवन खुशी-खुशी व्यतीत कर रहे हैं। आज हम आपको वृंदावन के एक ऐसे ही गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर आज भी लालटेन, हाथ पंखे और दाल-रोटी लोगों का एक मात्र सहारा है।

टटिया गांव की खासियत

उत्तर प्रदेश के वृंदावन में टटिया गांव है। यहां आकर आपको ऐसा लगेगा कि आप आज से कई शताब्दी पहले के समय में चले गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टटिया गांव के लोग बेहद धार्मिक हैं। जो मॉडर्न लाइफस्टाइल को फॉलो करने की जगह सादा जीवन व्यतीत करना पसंद करते हैं।

यहां के लोग आज भी गर्मी से बचने के लिए हाथ पंखे का इस्तेमाल करते हैं। घर में उजाला करने के लिए लाइट लगाने की जगह लालटेन जलाते हैं। खाना बनाने के लिए गैस का नहीं बल्कि लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। नहाने, कपड़े साफ करने और खाना बनाने के लिए यमुना नदी और कुएं के पानी का इस्तेमाल किया जाता है। यहां तक कि यमुना नदी और कुएं का पानी ही पिया जाता है।

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ध्यान स्थल के नाम से भी है प्रसिद्ध

स्वामी हरिदास जी को ललित किशोरी देव के सातवें अनुयायी माना जाता है। जो बांके बिहारी जी के परम भक्त थे। स्वामी हरिदास जी और ललित किशोरी देव टटिया गांव में ध्यान लगाकर साधना किया करते थे। इसी वजह से इस गांव को ध्यान स्थल के नाम से भी जाना जाता है।

भगवान कृष्ण की होती है पूजा

टटिया गांव के लोग बांके बिहारी जी और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। यहां पर आपको हर एक व्यक्ति भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन दिखाई देगा। इसके अलावा टटिया गांव के लोग संतसेवा और गो सेवा करने में भी आगे रहते हैं। टटिया गांव में राधा अष्टमी का पर्व विशेषतौर पर मनाया जाता है। इस दौरान पूरे गांव को फूलों से सजाया जाता है और सामूहिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

टटिया गांव के नाम का क्या है राज?

टटिया गांव बांस के डंडों के बीच है। यहां पर बांस को स्थानीय भाषा में टटिया कहा जाता है। इसी वजह से इस स्थान का नाम टटिया रखा गया है। आज भी यहां पर आपको बांस के बड़े-बड़े पेड़ और पेड़-पौधे की कई अलग-अलग प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jul 16, 2024 02:32 PM

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