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lord shiv puja: शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद खाना क्यों है वर्जित, जानिए क्या है इसके पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण?

lord shiv puja: भगवान शिव का पूजन जीवन के हर कष्ट को दूर करता है। लोग शिवलिंग का पूजन करने के बाद उनपर अर्पित फल और मिठाइयों को ग्रहण कर लेते हैं, लेकिन ऐसा करना शास्त्रों में वर्जित माना गया है।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Feb 11, 2025 16:33
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lord shiva
नहीं खाएं शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद

Lord Shiva Puja: भगवान शिव सृष्टि के वे देव हैं, जिनपर एक लोटा जल अर्पित करने मात्र से जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। भगवान शिव को संहारकर्ता भी माना जाता है। मान्यता है भगवान ब्रह्मा सृष्टि के रचियता और विष्णु पालनकर्ता व शिव संहारकर्ता हैं।

हिंदू धर्म में जब भी हम देवी-देवताओं का पूजन करते हैं तो उनको कुछ न कुछ भोग आदि भी अर्पित करते हैं। पूजन के बाद हम उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। माना जाता है कि देवी-देवताओं को अर्पित प्रसाद अमृत समान होता है, लेकिन भगवान शिव के साथ ऐसा नहीं है। उनके शिवलिंग पर जो भी प्रसाद अर्पित किया जाता है, उसको ग्रहण करना शास्त्रों में वर्जित बताया गया है।

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क्या है मान्यता?

मान्यता है कि जब भी किसी देवी या देवता को कोई प्रसाद अर्पित किया जाता है तो उसका एक हिस्सा उस देवता के पास स्वयं ही चला जाता है, लेकिन शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद चंडेश्वर स्वामी का हो जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव के मुख से चंडेश्वर स्वामी प्रकट हुए थे, जो भूत-प्रेतों के राजा हैं। इस कारण शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद पर उनका ही अधिकार होता है। अगर कोई व्यक्ति इस प्रसाद को ग्रहण करता है तो उसे चंडेश्वर स्वामी के क्रोध का सामना करना पड़ता है। इस कारण उस व्यक्ति के जीवन में दुख और दरिद्रता का वास हो जाता है।

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पुराणों में भी मिलता है उल्लेख

शिव पर अर्पित प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए। इसका उल्लेख पुराणों में भी देखने को मिलता है।

1. शिव महापुराण के अनुसार

“न नैवेद्यं न पुष्पाणि न जातु प्रतिगृह्यते।
लिंगार्चनेन देवेन्द्र: स्वर्गलोके महीयते॥”

अर्थ: शिवलिंग पर चढ़ाए गए नैवेद्य (भोग), पुष्प आदि को स्वयं नहीं खाना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा करता है, वह अपने पुण्यों का नाश करता है और स्वर्ग के सुखों से वंचित हो जाता है।

2. स्कंद पुराण के अनुसार,

“यानि कानिच लिंगेषु न्यस्तानि हि फलं जलम्।
नैतान्याद्यात् पुनर्भुक्त्या तानि देवाय कल्पितम्॥”

अर्थ: शिवलिंग पर चढ़ाए गए फल, जल, या अन्य प्रसाद को दोबारा ग्रहण नहीं करना चाहिए, क्योंकि वे विशेष रूप से भगवान शिव के लिए समर्पित होते हैं और मनुष्यों के भोग के लिए नहीं होते है।

3. लिंग महापुराण के अनुसार,

“शिवाय यत्किंचित् दत्तं तत्पुनर्भोजनं न हि।
भुक्त्वा पापीयते जन्तुः शिवद्रोही भवेद्ध्रुवम्॥”

अर्थ: जो भी वस्तु भगवान शिव को अर्पित की जाती है, उसे दोबारा नहीं खाना चाहिए। यदि कोई ऐसा करता है, तो उसे पाप लगता है और वह शिवद्रोही कहलाता है।

4. पद्म पुराण के अनुसार,

“शिवलिंगे न्यसेत् दत्तं पुनर्भुक्त्या न शस्यते।
यस्तु भुञ्जीत तत्सर्वं नरकायोपकल्पते॥”

अर्थ: जो व्यक्ति शिवलिंग पर अर्पित किया गया प्रसाद खाता है, वह पाप का भागी बनता है और उसे नरक में जाना पड़ता है।

इन पुराणों में लिखे गए श्लोकों की मानें तो शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद खाने योग्य नहीं माना जाता है।

सभी के लिए नहीं है मान्यता

शास्त्रों के जानकारों की मानें तो साधारण पत्थर, मिट्टी एवं चीनीमिट्टी से बने शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए। उनसे किसी नदी या जलाशय में प्रवाहित करना चाहिए और फूल व पत्तियों को किसी पेड़ के नीचे रखना चाहिए। वहीं, धातु (सोना, चांदी, तांबे) से बने या फिर पारद शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद को ग्रहण किया जा सकता है। इस प्रसाद को खाने से कोई भी दोष नहीं लगता है। इसके साथ ही भगवान शंकर की मूर्ति को अर्पित प्रसाद भी ग्रहण किया जाता सकता है।

क्या है वैज्ञानिक कारण?

इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण की बात करें तो शिवलिंग पर जल और दूध अर्पित होने से साथ ही धतूरा जैसी जहरीली सामग्रियां भी अर्पित की जाती हैं। इसके साथ ही भांग आदि नशीली चीजें भी भगवान शिव को अर्पित होती हैं। इनके संपर्क में आए प्रसाद का सेवन करने से संक्रमण की आशंका रहती है। इसके साथ ही शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर भी पड़ता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

News24 हिंदी

First published on: Feb 11, 2025 04:33 PM

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