Shardiya Navratri 2025 8th day Maa Mahagauri Puja: शारदीय नवरात्रि के पावन दिन चल रहे हैं. 30 सितंबर 2025 को शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन है, जिसे अष्टमी भी कहते हैं. अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप देवी महादौरी की पूजा की जाती है. साथ ही कन्या पूजन करके नवरात्रि व्रत का पारण किया जाता है, लेकिन मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन दशमी तिथि पर ही करना चाहिए. आइए अब जानते हैं देवी महागौरी के प्रिय भोग, रंग, फूल, मंत्र और आरती आदि के बारे में.
देवी महागौरी कौन हैं?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सोलह वर्ष की आयु में मां दुर्गा के पहले स्वरूप देवी शैलपुत्री बहुत सुंदर थी. उनका रंग बहुत ज्यादा गोरा व साफ था. उनके इसी रंग के कारण उन्हें देवी महागौरी नाम दिया गया. हालांकि, देश के कई राज्यों में देवी महागौरी, माता वृषारूढ़ा और देवी श्वेताम्बरधरा नाम से भी जानी जाती हैं. बता दें कि पापी ग्रह राहु को माता महागौरी शासित करती हैं.
देवी महागौरी का स्वरूप
देवी महागौरी, माता शैलपुत्री का ही एक रूप हैं, इस कारण दोनों देवियों का वाहन बैल है. इसके अलावा माता की चार भुजाएं हैं. देवी के एक दाहिने हाथ में त्रिशूल है, जबकि दूसरा हाथ अभय मुद्रा में है. वहीं, एक बायां हाथ वर मुद्रा में है, जबकि दूसरे में डमरू है. देवी महागौरी की सबसे खास बात ये है कि वो केवल श्वेत वस्त्र ही धारण करती हैं.
देवी महागौरी की पूजा का शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त- सुबह में 04:55 से 05:43
- अभिजित मुहूर्त- दोपहर में 12:06 से 12:53
- विजय मुहूर्त- दोपहर में 02:29 से 03:17
- गोधूलि मुहूर्त- शाम में 06:28 से 06:52
- सायाह्न सन्ध्या- शाम में 06:28 से 07:40
देवी महागौरी की प्रिय चीजें
- फूल- रात की रानी
- रंग- गुलाबी
- भोग- नारियल से बनी मिठाईयां
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देवी महागौरी के मंत्र
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
देवी महागौरी की प्रार्थना
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
देवी महागौरी की स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
देवी महागौरी का कवच
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥
देवी महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवासा॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुण्ड में था जलाया। उसी धुयें ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आने वाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
देवी महागौरी की पूजा विधि
- सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ सफेद या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें.
- गंगाजल छिड़कर घर और पूजा स्थल को शुद्ध करें.
- मां दुर्गा की प्रतिमा के पास देवी महागौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें.
- हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें.
- देवी को फूल, फल, धूप, दीप, मिठाई और नैवेद्य अर्पित करें.
- घी का दीपक जलाएं और देवी महागौरी के मंत्रों का जाप करें.
- व्रत की कथा सुनें या पढ़ें और आरती करें.
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