Bada Mangal 2025: हिन्दू वर्ष के तीसरे महीने यानी ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार को ‘बुढ़वा मंगल’ कहते हैं, जो हनुमानजी को समर्पित एक विशेष दिन है। ज्येष्ठ का अर्थ होता है, ‘जेठ’ या ‘बड़ा’, इसलिए इस माह के हर मंगलवार ‘बड़ा मंगल’ कहते हैं, जो हनुमानजी की श्रेष्ठता को उजागर करता है। आज मंगलवार 20 मई, 2025 को ज्येष्ठ माह का ‘दूसरा बड़ा मंगल’ है। आइए जानते हैं, इसे ‘बुढ़वा मंगल’ क्यों कहते हैं, भगवान राम और हनुमानजी के मिलन की कथा और ‘बड़ा मंगल’ से जुड़ी खास बातें क्या हैं?
जब टूटा भीम का घमंड
महाभारत का एक प्रसंग है कि पांडवों में सबसे बलवान भीम को एक बार अपनी ताकत पर बहुत घमंड हो गया था। एक दिन वे जंगल में जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक बूढ़ा बंदर दिखा। वह बंदर रास्ते में लेटा हुआ था और उसकी पूंछ रास्ते के आरपार फैली थी। यह देख भीम ने बंदर से कहा, ‘अपनी पूंछ हटा लो।’ इस बंदर ने कहा, ‘मैं बहुत बूढ़ा हो चुका हूं, खुद नहीं हटा सकता। यदि तुम्हें जल्दी है तो तुम ही हटा लो।’
भीम ने सोचा यह तो आसान है। भीम ने पूंछ हटाने की कोशिश की। उन्होंने बहुत जोर लगाया। लेकिन पूंछ टस से मस नहीं हुई। भीम को बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने और भी जोर लगाया। फिर भी पूंछ नहीं हिली। भीम बहुत शर्मिंदा हुए। तभी वह बूढ़ा बंदर असली रूप में आ गया। वह कोई और नहीं, स्वयं हनुमानजी थे। भीम का घमंड चूर-चूर हो गया और वे काफी पछतावा करने लगा। इस पर उन्हें हनुमानजी ने समझाया और आशीर्वाद दिया। ऐसा माना जाता है कि यह घटना ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को हुई थी।
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इस रूप में भगवान राम से मिले हनुमान
यह कथा त्रेता युग में तब की है, जब रावण ने सीता माता का हरण कर लिया था। भगवान श्रीराम बहुत दुखी थे। वे अपने भाई लक्ष्मण के साथ सीता जी की खोज में निकल पड़े थे। वे जंगलों और पर्वतों में सीता माता की खोज में भटक रहे थे। खोजते-खोजते वे ऋष्यमूक पर्वत के पास पहुंचे। ऋष्यमूक पर्वत पर हनुमानजी सुग्रीव के साथ रहते थे। भगवान राम और लक्ष्मण को देख सुग्रीव को लगा कि उनका भाई बाली इन दोनों को उन्हें मारने के लिए भेजा है। तब सुग्रीव ने हनुमानजी से राम-लक्ष्मण का भेद जानने के लिए कहा।
हनुमानजी ने एक बूढ़े ब्राहमण का भेष धारण किया और वे राम और लक्ष्मण से मिलने गए। उन्होंने बहुत विनम्रता से उनसे बात की, हाल समाचार पूछा और आने के प्रयोजन पूछा। यह राम-भक्त हनुमानजी की भगवान राम से पहली भेंट थी। कहते हैं, जैसे ही हनुमानजीने श्रीराम को देखा, उनका मन प्रेम और भक्ति से भर गया। उधर श्रीराम ने भी हनुमान को तुरंत पहचान लिया। दोनों के बीच पहली ही मुलाकात में गहरा संबंध जुड़ गया। ऐसा कहा जाता है कि यह दिव्य भेंट ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को हुई थी।
इसलिए कहते हैं ‘बुढ़वा मंगल’
यह एक विशेष संयोग है कि इन दोनों कथाओं में हनुमानजी एक वृद्ध के रूप में थे और ज्येष्ठ माह की मंगलवार को मिले थे। इसलिए जेठ महीने की हर मंगलवार को ‘बुढ़वा मंगल’ कहा जाता है। बुढ़वा शब्द भी ज्येष्ठता का परिचायक है। आपको बता दें कि बड़ा मंगल से जुड़ी एक तीसरी और बड़ी महत्वपूर्ण घटना यह है कि इसी दिन हनुमानजी ने लंका दहन कर रावण का अभिमान चूर किया था।
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