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शनि गोचर, सूर्य ग्रहण और अमावस्या से पहले आया भूकंप, जानिए क्या है इसका ज्योतिषीय कनेक्शन?

28 मार्च को म्यांमार, थाईलैंड और भारत में भूकंप के झटके महसूस किए हैं। यह भूकंप उस दौरान आया है, जब अगले दिन 29 मार्च को शनि मीन राशि में गोचर करने वाले हैं। इसके साथ ही इसी दिन शनि अमावस्या और सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। ऐसे में इस भूंकप का एक बड़ा ज्योतिषीय कनेक्शन बनता दिख रहा है।

Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Mar 28, 2025 19:43
SHANI GOCHAR
क्या है भूकंप का ज्योतिषीय कनेक्शन?

म्यांमार, थाईलैंड और भारत में 28 मार्च 2025 की दोपहर में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। इस भूकंप की तीव्रता 7.7 आंकी गई है। भूकंप का केंद्र बिंदु बर्मा के सागैंग शहर से 16 किमी उत्तर-पश्चिम में मांडले शहर के पास स्थित था। यह राजधानी से करीब 100 किमी उत्तर में स्थित है। ज्योतिष में भूकंप को लेकर कई जानकारियां दी गई हैं। ज्योतिष के अनुसार जब भी सूर्य ग्रहण या अमावस्या तिथि होती है तब भूकंप जैसी घटनाएं होने की आशंका बढ़ जाता है।

29 मार्च 2025 को शनि का मीन राशि में गोचर होने वाला है। इसके साथ ही इसी दिन अमावस्या और सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। शनि जब भी गोचर करते हैं तो इसका असर पूरी दुनिया पर लंबे समय तक पड़ता है। वहीं, फलदीपिका जैसे ग्रंथों की मानें तो शनि जब भी जलीय राशि में प्रवेश करने वाले होते हैं या प्रवेश कर जाते हैं तो पृथ्वी अस्थिर हो सकती है।

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आधुनिक ज्योतिषियों ने भी की है पुष्टि

कई आधुनिक ज्योतिषीयों की मानें तो शनि जब जलीय राशियों में प्रवेश करता है और अन्य ग्रहों विशेष रूप से राहु, केतु या मंगल के साथ प्रभावित होता है तो प्राकृतिक आपदाओं की संभावना बढ़ जाती है।

शनि गोचर और भूकंप में संबंध

शनि एक भारी ग्रह हैं, जो जल तत्व की राशि में प्रवेश करता है तो पृथ्वी के अंदर अस्थिरता बढ़ाता है। शनि धीमी गति से चलता है। इस कारण इसका असर दीर्घकालिक और गहरा होता है। जब यह क्रूर ग्रह मंगल, राहु या केतु के प्रभाव में आता है तो भूकंप जैसी घटनाओं को जन्म देता है।

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अमावस्या और भूकंप

अमावस्या के समय चंद्रमा और सूर्य एक ही राशि और सीध में होते हैं। इससे पृथ्वी पर ज्वारभाटा आता है। वैज्ञानिक नजरिए से भी पूर्णिमा और अमावस्या के आसपास भूकंप की घटनाएं अधिक देखी गई हैं। जापानी वैज्ञानिकों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि अमावस्या और पूर्णिमा के आसपास भूकंप अधिक आते हैं। इस दौरान पृथ्वी पर खिंचाव बढ़ जाता है।

सूर्य ग्रहण और भूकंप में संबंध

सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में होते हैं, जिससे ग्रेविटेशनल पुल बढ़ जाता है। यह पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट्स को प्रभावित कर सकता है। इसके पहले साल 2004 में 26 दिसंबर को हिंद महासागर में सुनामी आई थी। वहीं, 23 दिसंबर को आंशिक सूर्यग्रहण पड़ा था।

11 मार्च 2011 को जापान में भूकंप आया था। इसके कुछ दिन बाद ही पूर्णिमा तिथि थी। ऐसे ही 25 अप्रैल 2015 में नेपाल में भूकंप आया था। इसके पहले 20 मार्च 2015 को सूर्य ग्रहण पड़ा था।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

ये भी पढ़ें-Shani Gochar 2025: भूकंप, तूफान या सत्ता परिवर्तन, जानिए क्या पड़ेगा शनि के गोचर का देश-दुनिया पर प्रभाव?

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Edited By

Mohit Tiwari

First published on: Mar 28, 2025 07:43 PM

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