Rakshabandhan 2025: रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक होने के साथ ही हिंदू धर्म का एक अनमोल त्योहार है। जो हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनकी लंबी आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हुए उन्हें उपहार भेंट करते हैं।
साल 2025 में रक्षाबंधन का यह पर्व विशेष रूप से शुभ होने वाला है, क्योंकि इस बार भद्रा का प्रभाव नहीं रहेगा और कई शुभ योग इस दिन को और भी मंगलकारी बनाएंगे। आइए जानते हैं कि साल 2025 में रक्षाबंधन किस दिन है और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है।
कब है रक्षाबंधन 2025?
हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व साल 2025 में 9 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि है, जिसे सावन पूर्णिमा भी कहा जाता है। पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2:12 बजे शुरू होगी और 9 अगस्त 2025 को दोपहर 1:24 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि की मान्यता के आधार पर 9 अगस्त को सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि होने के कारण राखी इसी दिन बांधीं जाएंगी।
राखी बांधने का क्या है शुभ मुहूर्त?
रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार शुभ समय पर राखी बांधने से देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। साल 2025 में रक्षाबंधन के लिए मुख्य शुभ मुहूर्त सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक रहेगा, जो कुल 7 घंटे 37 मिनट की अवधि का होगा। इस दौरान अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से 12:53 बजे तक रहेगा, इसे राखी बांधने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। अभिजीत मुहूर्त किसी भी शुभ कार्य के लिए अत्यंत फलदायी होता है । इसके अलावा, अन्य शुभ समय जैसे ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:22 बजे से 5:04 बजे), विजय मुहूर्त (दोपहर 2:40 बजे से 3:33 बजे), गोधूलि मुहूर्त (शाम 7:06 बजे से 7:27 बजे), और निशिता मुहूर्त (रात 12:05 बजे से 12:48 बजे) भी उपलब्ध होंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अपराह्न काल (दोपहर का समय) राखी बांधने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
नहीं रहेगा भद्रा काल
हिंदू शास्त्रों में भद्रा काल को अशुभ समय माना जाता है, जिसमें राखी बांधने जैसे शुभ कार्य वर्जित होते हैं। भद्रा, सूर्यदेव की पुत्री और शनिदेव और यमराज की बहन हैं। इनका प्रभाव पृथ्वी, स्वर्ग या पाताल लोक में हो सकता है। जब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है, तो इससे शुभ कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है। साल 2025 में रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल का कोई प्रभाव नहीं रहेगा। पंचांग के अनुसार, भद्रा काल 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2:12 बजे शुरू होगा और 9 अगस्त 2025 को सुबह 1:52 बजे समाप्त हो जाएगा। भद्रा काल सूर्योदय से पहले ही खत्म हो जाएगा। इस कारण 9 अगस्त का पूरा दिन राखी बांधने के लिए शुभ रहेगा। इस बार भद्रा की अनुपस्थिति के कारण भाई-बहन पूरे दिन उत्साह और श्रद्धा के साथ इस पर्व का आनंद ले सकेंगे।
बनेंगे कई शुभ योग
रक्षाबंधन 2025 में कई शुभ योगों का संयोग बन रहा है, जो इस पर्व को और अधिक विशेष और फलदायी बनाएंगे। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:47 बजे से दोपहर 2:23 बजे तक रहेगा, जो किसी भी कार्य को सफल और शुभ बनाने के लिए जाना जाता है। इस योग में बांधी गई राखी भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करेगी। इसके साथ ही, सौभाग्य योग सुबह 4:08 बजे से देर रात 2:15 बजे तक प्रभावी रहेगा, जो जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है। शोभन योग भी दिन के दौरान मौजूद रहेगा, जो सौंदर्य और समृद्धि को बढ़ाता है। इन शुभ योगों की उपस्थिति रक्षाबंधन 2025 को एक दुर्लभ और मंगलकारी अवसर बनाती है, जो भाई-बहन के प्रेम को और गहरा करने के लिए अच्छा माना जाता है।
कैसे करें रक्षाबंधन पर पूजा?
इस दिन सबसे पहले सुबह जल्दी स्नान करके स्वयं को शुद्ध करें और घर के मंदिर में गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र करें। पूजा थाली में रोली, अक्षत, कुमकुम, दीपक, मिठाई और राखी सजाकर रखें। इसके बाद सभी देवी और देवताओं को राखी बांधें, फिर देसी घी का दीपक जलाएं और आरती करें। इसके साथ ही भगवान से सुख-समृद्धि की कामना करें। राखी बांधने के लिए भाई का रोली और अक्षत से तिलक करें, उनकी कलाई पर रक्षासूत्र बांधें और मिठाई खिलाएं। इस दौरान ये मंत्र जपें।
‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।’
इस मंत्र का अर्थ है कि जिस रक्षासूत्र से महाबली दानवेंद्र राजा बलि को बांधा गया, उसी से मैं तुम्हें बांधती हूं, और यह रक्षासूत्र अडिग रहकर तुम्हारी रक्षा करे। अंत में, भाई अपनी बहन को उपहार भेंट करें और घर के बड़ों का आशीर्वाद लें।
रक्षाबंधन की पौराणिक कथाएं
रक्षाबंधन केवल एक धागे का बंधन नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और एकजुटता का प्रतीक है, जो भाई-बहन के रिश्ते को अनमोल बनाता है। इस पर्व से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं। महाभारत काल में जब शिशुपाल का वध करने के लिए जब भगवान श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चलाया तो उनकी उंगली भी घायल हो गई थी। उस समय द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांधा था। इसके बदले में श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया था और चीरहरण के समय उनकी लाज बचाई।
एक अन्य कथा में, यमुना ने अपने भाई यमराज को राखी बांधी थी, जिसके बदले यमराज ने उन्हें अमरता का वरदान दिया। इतिहास में रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर अपने राज्य की रक्षा की गुहार लगाई थी, और हुमायूं ने इस राखी के सम्मान में उनकी मदद की।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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