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Religion

Radha Ashtami: जन्माष्टमी के 14 दिन बाद है राधा अष्टमी, जानें पूजा का मुहूर्त, विधि और व्रत के पारण का समय

Radha Ashtami Vrat: वर्ष 2025 में धूमधाम से 16 अगस्त को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी का पर्व मनाया गया, जिसके 14 दिन बाद अब राधा अष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। आइए जानते हैं राधा अष्टमी की पूजा के शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और व्रत के पारण के समय आदि के बारे में।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Nidhi Jain Updated: Aug 17, 2025 15:45
Radha Ashtami 2025
Credit- Social Media

Radha Ashtami 2025 Vrat: कृष्ण भक्तों के लिए राधा अष्टमी के पर्व का खास महत्व है, क्योंकि इस दिन श्रीकृष्ण की प्रिय सखी राधा रानी की पूजा की जाती है। देवी राधा को प्रेम, भक्ति और अलौकिक संबंध का प्रतीक माना जाता है, जिनकी पूजा से कृष्ण जी भी प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिन लोगों के ऊपर राधा रानी की विशेष कृपा रहती है, उन्हें प्यार, सुख, समृद्धि, धन और वैभव आदि जीवन का हर सुख मिलता है।

द्रिक पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी मनाई जाती है। राधा अष्टमी को कृष्ण जी की सर्वोच्च प्रेयसी देवी राधा के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। देश के कई राज्यों में राधा अष्टमी को राधाष्टमी और राधा जयन्ती के नाम से भी जाना जाता है। चलिए अब जानते हैं राधा अष्टमी की सही तिथि, पूजा के शुभ मुहूर्त और विधि आदि के बारे में।

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राधा अष्टमी 2025 में कब है?

साल 2025 में जन्माष्टमी के 14 दिन बाद राधा अष्टमी है। इस बार 30 अगस्त की रात 10 बजकर 46 मिनट से लेकर 1 सितंबर की सुबह 12 बजकर 57 मिनट तक भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर 31 अगस्त 2025, वार रविवार को राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। बता दें कि कुछ लोग राधा अष्टमी के दिन व्रत भी रखते हैं।

निर्जला और फलाहार दोनों तरीके से राधा अष्टमी का व्रत रखा जाता है। जो लोग निर्जला उपवास रखते हैं, उन्हें दिनभर जल और अन्न कुछ भी खाने की मनाही होती है। जबकि फलाहार व्रत में दिन में केवल एक बार ताजे फल और जल का सेवन किया जा सकता है।

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राधा अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त

राधा अष्टमी के दिन देवी राधा की पूजा मध्याह्न काल यानी दोपहर में की जाती है। 31 अगस्त 2025 को सुबह 11 बजकर 05 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक मध्याह्न काल है। ये 02 घंटे 33 मिनट राधा रानी की पूजा के लिए बेहद शुभ हैं। इसके अलावा इस दिन सूर्योदय सुबह 05:59 मिनट पर होगा। जबकि ब्रह्म मुहूर्त प्रात: काल 04:29 से सुबह 05:14 मिनट तक, अभिजित मुहूर्त सुबह 11:56 से दोपहर 12:47 मिनट तक और सायाह्न सन्ध्या शाम में 06:44 से लेकर 07:51 मिनट तक है।

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राधा अष्टमी की पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठें।
  • स्नान आदि कार्य करने के बाद गुलाबी या लाल रंग के शुद्ध कपड़े धारण करें।
  • घर के मंदिर में देवी राधा और कृष्ण जी की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें।
  • हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें।
  • देवी-देवताओं को फल, फूल, मिठाई, कपड़े, अक्षत, पंचामृत, दही, अरबी की सब्जी, मेवे और चुनरी अर्पित करें।
  • राधा रानी और कृष्ण जी के नाम का 11 बार जाप करें।
  • घी का एक दीपक जलाएं।
  • राधा अष्टमी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें और आरती करें।
  • दोपहर में फिर से राधा रानी की पूजा करें।
  • व्रत का पारण करने से पहले दान दें और गौ सेवा करें।

राधा अष्टमी का व्रत कब खोलें?

राधा अष्टमी के व्रत का पारण अष्टमी तिथि के समाप्त होने के बाद किया जाता है। हालांकि कुछ लोग सूर्यास्त के बाद भी उपवास खोलते हैं। इस बार 01 सितंबर 2025 की सुबह 12:57 मिनट पर अष्टमी तिथि समाप्त हो रही है। जबकि 31 अगस्त को शाम में 06 बजकर 44 मिनट पर सूर्यास्त होगा।

राधा अष्टमी का व्रत किस चीज को खाकर खोलें?

फल या दूध से राधा अष्टमी के व्रत को खोला जा सकता है, लेकिन सबसे पहले उसका भोग राधा रानी और कृष्ण जी को लगाएं। व्रत खोलने के बाद आप सात्विक भोजन कर सकते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Aug 17, 2025 03:45 PM

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