Premanand Maharaj Viral Video: ऐसा माना जाता है कि रिश्ते हमारी जिंदगी की सबसे कीमती पूंजी होते हैं, लेकिन जब इनमें मनमुटाव, झगड़े या गलतफहमियां आ जाती हैं तो पूरा जीवन असंतुलित लगने लगता है। चाहे वह पति-पत्नी का संबंध हो, प्रेमी-प्रेमिका का या परिवार के किसी सदस्य से जुड़ा रिश्ता—समस्याएं आना स्वाभाविक है लेकिन उन्हें समझदारी और धैर्य से सुलझाना ही एक सच्चे रिश्ते की पहचान होती है। एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से इस विषय से जुड़ा सवाल किया कि अगर रिश्ते में मनमुटाव या झगड़े होने लगे तो क्या करना चाहिए? इस बात पर महाराज ने काफी सहजता से उत्तर दिया।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जहां अहंकार खत्म होता है, वहीं प्रेम की शुरुआत होती है। उनका मानना है कि जब भी किसी रिश्ते में विवाद हो, तो उसमें जीतने की नहीं बल्कि समझने की कोशिश करनी चाहिए। शांति, संवाद और क्षमा की भावना रिश्तों को फिर से संजोने में सबसे अहम भूमिका निभाती है। यदि समय रहते सही उपाय और दृष्टिकोण अपनाया जाए तो कोई भी संबंध फिर से मधुर और मजबूत बन सकता है।
आइए जानते हैं प्रेमानंद जी के अनुसार वे कौन-से सरल लेकिन प्रभावशाली उपाय हैं जो झगड़े को खत्म कर रिश्तों में संतुलन और स्नेह वापस ला सकते हैं
महाराज कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति या परिस्थिति में नाराजगी न रखें, अपने अंदर भगवत-भाव रखें। इसके साथ ही वे यह भी कहते हैं कि जब कोई रिश्ता डगमगाने लगे, तब हमें सबसे पहले अपने भीतर शांति लानी चाहिए, और फिर दूसरे की बात को बिना टोके और बिना गुस्से के सुनना चाहिए। यही संयम और समझदारी रिश्तों को संतुलित और मजबूत बनाने की असली कुंजी है।
अगर हम प्रेमानंद महाराज की इन बातों को अपने जीवन में अपनाएं, तो रिश्तों में संतुलन बना पाना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं रहेगा। प्रेम, धैर्य और क्षमा—यही हैं वे तीन स्तंभ, जिन पर कोई भी मजबूत रिश्ता टिक सकता है।
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