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Religion

क्या गंगा स्नान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं? जानिए इस सवाल पर क्या बोले प्रेमानंद महाराज

गंगा स्नान करना हिंदू धर्म की एक पुरानी और अत्यंत पवित्र प्रथा है। लोग गंगा स्नान करने के लिए न जाने कहां-कहां से भारत आते हैं, ताकि वे अपने पापों को धो सकें। लेकिन क्या सचमुच गंगा स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं? आइए, जानते हैं इस विषय पर संत प्रेमानंद महाराज का क्या कहना है।

Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Apr 22, 2025 14:03

Premanand Ji Maharaj Viral Video: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गंगा स्नान को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी माना गया है। शास्त्रों में उल्लेख है कि गंगा मां स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुईं और उनके जल में स्नान करने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो जाता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या वाकई गंगा स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं? एक भक्त ने यह सवाल संत प्रेमानंद महाराज से किया। इस पर महाराज ने बड़ी सहजता, गहराई और भावपूर्ण तरीके से उत्तर दिया। आइए जानते हैं इस विषय पर संत प्रेमानंद महाराज ने क्या कहा।

प्रेमानंद महाराज ने भक्त के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि गंगा में स्नान करने से पाप निश्चित रूप से धुल सकते हैं लेकिन यह केवल बाहरी स्नान तक सीमित नहीं है।
गंगा मां केवल जल नहीं हैं वे तो दिव्यता का प्रतीक हैं, ईश्वर की करुणा और कृपा की मूर्त हैं। अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन, श्रद्धा और पश्चाताप की भावना से गंगा स्नान करता है तो निश्चित ही उसके भीतर का पाप भी धुल सकता है। लेकिन यदि मन में छल, कपट, अहंकार और पाप की प्रवृत्ति बनी रहे, तो केवल शरीर को भिगोने से कोई फायदा नहीं होता। संत प्रेमानंद महाराज ने उदाहरण देते हुए कहा जैसे कोई रोगी केवल दवा को देखकर ठीक नहीं हो सकता ठीक वैसे ही कोई पापी केवल गंगा जल में स्नान करके पवित्र नहीं हो सकता जब तक उसका मन पवित्र न हो।

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गंगा मां की दिव्यता

संत प्रेमानंद महाराज ने समझाया कि गंगा केवल जल की धारा नहीं हैं वे तो स्वयं मां हैं। वे हमारी भावनाओं की गहराई देखती हैं। जैसे मां अपने बच्चे के आंसू देखकर उसका दुख समझती हैं वैसे ही मां गंगा उस मन की पुकार सुनती हैं जो सच्चे मन से उनके चरणों में झुकता है। यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन और श्रद्धा से गंगा स्नान करता है तो मां गंगा उसके जीवन से सारे दुखों को मिटा देती हैं।

पापों का नाश और भगवान में लीन होना

इसके साथ ही महाराज ने यह भी कहा कि पापों का नाश तभी संभव है जब हम भजन करें और स्वयं भगवान में लीन हो जाएं। केवल बाहरी कर्मों से पाप नहीं धुल सकते जब तक हमारा मन शुद्ध न हो और हम अपने आंतरिक दोषों को दूर करने का प्रयास न करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है

First published on: Apr 22, 2025 02:03 PM

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