Pradosh Vrat Upay: प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, लेकिन जब यह व्रत रविवार को पड़ता है, तो इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ भगवान सूर्य की कृपा पाने के लिए भी अत्यंत फलदायक माना गया है। इस बार यह शुभ व्रत 8 जून 2025 को यानी आज पड़ रहा है, जो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। मान्यता है कि इस दिन किए गए विशेष उपाय घर में सुख-समृद्धि, आरोग्य और सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं। आइए जानते हैं, क्या हैं ये उपाय?
सूर्यास्त से पहले करें दीपदान
आज की शाम गोधूलि मुहूर्त में सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इस दीपक को शिवलिंग और सूर्यदेव के सामने रखें। फिर शिवलिंग पर जल, दूध और गंगाजल से अभिषेक करें। सूर्य को अर्घ्य देते समय ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें। यह उपाय स्वास्थ्य लाभ, मानसिक संतुलन और पारिवारिक सुख-शांति के लिए अत्यंत शुभ होता है।
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श्रेष्ठ मुहूर्त में शिव मंत्र जाप
रवि प्रदोष व्रत को सूर्योदय के बाद से ही आरंभ किया जा सकता है, लेकिन इसका सर्वश्रेष्ठ समय सूर्यास्त से ठीक 48 मिनट पहले से शुरू होता है। इस समय स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और शिवलिंग पर तुलसी मिश्रित जल अर्पित करें। फिर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। यह उपाय व्रत की शक्ति को कई गुना बढ़ा देता है और आपकी साधना को सिद्धि की ओर ले जाता है।
त्रिकाल पूजा
इस दिन सुबह, दोपहर और संध्या तीनों समय भगवान शिव की पूजा करें। शिवलिंग पर क्रमशः जल, दूध और फल चढ़ाएं। विशेषकर संध्या समय बेलपत्र, धतूरा और सफेद फूल अर्पित करें। इसके साथ माता पार्वती का ध्यान करें और ‘ॐ पार्वत्यै नमः’ मंत्र का जाप करें। यह उपाय आपको मानसिक शांति, सकारात्मक सोच और आत्मिक बल प्रदान करता है।
माना जाता है कि रवि प्रदोष व्रत रखने और इन तीन उपायों को श्रद्धा से करने से व्यक्ति के जीवन में न केवल आर्थिक सुख-समृद्धि आती है, बल्कि पापों से मुक्ति और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है। भगवान शिव को प्रसन्न करना जितना सरल है, उतना ही प्रभावशाली भी। पंडित और आचार्य बताते हैं कि यह व्रत जीवन को सुखमय बनाने की एक दिव्य राह है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।