Pitru Paksha 2024: पितरों और पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के महा अनुष्ठान पितृपक्ष की शुरुआत 18 सितंबर 2024 से हो चुकी है, जिसका समापन अगले महीने 2 अक्टूबर 2024 को सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा। इन 16 दिनों के दौरान देवी-देवताओं के साथ-साथ पितरों और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विधिपूर्वक पूजा की जाती है। श्राद्ध पूजा के दौरान पितरों और पूर्वजों का मनपसंद खाना भी बनाया जाता है। हालांकि श्राद्ध का खाना बनाने से लेकर भोग लगाने तक के कई नियम हैं, जिनका पालन न करने पर पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है।
मान्यता है कि भोजन ही वह माध्यम है, जिसके जरिए मनुष्य ब्रह्मांड से जुड़ता है। इसलिए श्राद्ध के खाने का चयन सोच-समझकर करना चाहिए। हालांकि दो चीजें ऐसी हैं, जिन्हें श्राद्ध के खाने में जरूर बनाना चाहिए। उड़द की दाल और चावल के बिना श्राद्ध का खाना अधूरा माना जाता है। आइए अब विस्तार से जानते हैं श्राद्ध के खाने में उड़द की दाल और चावल के महत्व के बारे में।
चावल और उड़द दाल का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, उड़द की दाल और चावल को आत्मा के पोषण का प्रतीक माना जाता है। श्राद्ध में पितरों को इन्हें चढ़ाने से उनकी भूख शांत होती है। मन और आत्मा दोनों से पितरों और पूर्वजों को शांति मिलती है। इसके अलावा उड़द की दाल और चावल दोनों सात्विक भोजन हैं, जो आसानी से पच जाते हैं। इनमें पोषण तत्वों की भरपूर मात्रा होती है, जिससे सेहत को नुकसान नहीं होता है।
उड़द की दाल और चावल को पितृ पक्ष के खाने में बनाने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही पूर्वजों के आशीर्वाद से दीर्घायु, धन और वंश में वृद्धि होती है।
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श्राद्ध के खाने से जुड़े जरूरी नियम
- श्राद्ध का खाना घर पर ही चांदी या कांसे के बर्तनों में बनाना चाहिए।
- श्राद्ध का खाना बनाने के लिए मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- ब्राह्मणों को खाना खिलाने से पहले भोजन को जूठा नहीं करना चाहिए।
- ब्राह्मणों को खाना खिलाने से पहले श्राद्ध का खाना कुत्ता, गाय, चींटियों और कौवा के लिए जरूर निकालना चाहिए।
- श्राद्ध के खाने की न तो बुराई करें और न ही प्रशंसा करें। भोजन को प्रसाद के रूप में खा लेना चाहिए।
- जब तक श्राद्ध की पूजा पूरी न हो जाए, तब तक घरवालों को भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
- श्राद्ध का भोजन बनाते समय चुप रहना चाहिए। बात करते-करते खाना बनाने से वो अशुद्ध हो जाता है।
- ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद दान-दक्षिणा अवश्य दें।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।