Mauni Amavasya 2025: हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि मौन रहना सबसे बड़ी साधना है। परमपिता ईश्वर यानि परमात्मा मौन में ही निवास करते हैं। इसलिए हमारे ऋषि मुनियों ने एक दिन सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक के लिए मौनी अमावस्या का विधान शास्त्रों में बताया है। मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन मौन रहकर स्नान और दान देने का महत्व है। धर्म की अच्छी खासी जानकारी रखने वाली नम्रता पुरोहित ने मौनी अमावस्या पर मौन व्रत का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में बताया है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
मौनी अमावस्या मौन रखने का महत्व
इस व्रत में मौन धारण करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है। ऐसा भी कहा गया है कि हम जितना मौन रहेंगे उतना हमारा परमात्मा से संपर्क साधना सरल हो जाता है। परमात्मा के साथ हमारा संवाद आसानी से हो पाता है। मौनी अमावस्या पर मनु ऋषि का जन्म हुआ था ऐसा माना गया है। बुद्ध ने भी कहा है कि मौन व्रत, उदासी, अज्ञानी और दुख को हमारे भीतर से निकालकर आनंद और प्रेम को जन्म देता है।
आदि गुरु शंकराचार्य और महर्षि रमण ने मौन रहने को आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्ति का साधन बताया है। जो लोग मानसिक चिंता में रहते हैं या भयभीत रहते हैं उनके लिए मौनी अमावस्या के दिन मौन रहना अति उत्तम माना गया है। ग्रहों की शांति और दोषों का निवारण भी मौन रहने से होता है। इसके साथ ही पापों का नाश होता है।
मौनी अमावस्या की पूजा विधि
मौनी अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर संकल्प लेकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सूर्य को काले तेल मिलाकर अर्घ दिया जाता है। अगर आपने मौन धारण किया है तो मानसिक रूप से जप करें पूर्वजों के निमित्त या भगवान विष्णु का जप करें। फल खाकर उपवास भी रखना फलदायी होता है।
मौन रहकर मिलता है पुण्य
मौनी अमावस्या पर उपवास रखना संभवन नही है तो इस दिन मौन रहकर पुण्य का फल हासिल किया जा सकता है। इस दिन दान देने का विशेष महत्व है। स्नान के पश्चात अन्न, वस्त्र या किसी भी वस्तु का दान कर सकते हैं। इसके अलावा गोदान यानी की गाय का दान, भूमि दान, स्वर्ण दान (सोने का दान), रजत यानी चांदीका दान, किसी नए बर्तन में शुद्ध घी का दान, काले तिल का दान और नमक का दान अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी भी प्रकार का दान जरूर दें।
मौनी अमावस्या पर शुभ मुहूर्त
- माघ अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 जनवरी 2025 मंगलवार को शाम 7:35 पर होगी।
- अमावस्या तिथि का समापन 29 जनवरी 2025 वार बुधवार शाम 6:05 पर होगा।
- 29 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:25 से 6:19 तक रहेगा।
अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त
- पहला मुहूर्त- सुबह 7:20 से 8:44 तक
- दूसरा मुहूर्त- सुबह 8:44 से 10:07 तक
- तीसरा मुहूर्त- सुबह 11:30 से लेकर 12:53 तक
- चौथा मुहूर्त- शाम 5:02 से शाम 6:25 तक
मौनी अमावस्या के दिन स्नान का महत्व
माघ मास में जब सूर्य मकर राशि में होते हैं तब तीर्थापति यानी प्रयागराज में देवता, ऋषि, किन्नर और अन्य गण तीनों संगम में स्नान करते हैं। महाभारत में भी बताया गया है कि माघ मास में सभी देवी देवताओं का वास होता है और यह सभी तीर्थ भी स्नान करने आते हैं। माघ माह में भगवान विष्णु सूर्योदय से पूर्व गंगा स्नान या घर में स्नान करने से बहुत प्रसन्न होते हैं और इस माह की अमावस्या विशेष फलदायी होती है।
अमावस्या की तिथि पितरों को समर्पित मानी गई है। इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण और दान विशेष रूप से दें, पवित्र नदियों में स्नान करें। संभव हो तो घर में ही गंगा, जमुना, मंदाकिनी, कावेरी, गोदावरी, कृष्णा और व्यास आदि पवित्र नदियों के जल से स्नान करें।
सवा घंटे का मौन व्रत भी है फलदायी
संभव हो तो प्रयागराज में षोडोपचार पूजन करके त्रिवेणी में स्नान करें,ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें, मौन रहकर व्रत कर मन के भीतर के अंधकार को नष्ट किया जाता है,इससे वाणी दोष दूर होते हैं मनुष्य का इंद्रियों पर काबू होने लगता है, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, आध्यात्मिकता का विकास होता है। मौनी अमावस्या पर अगर 24 घंटे मौन रहना संभव ना हो तो कम से कम सवा घंटे का मौन व्रत अवश्य रखें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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