Makar Sankranti 2025: सूर्य का उत्तरायण होना एक खास खगोलीय घटना है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व है। भारतीय संस्कृति में उत्तरायण सूर्य को शुभ माना गया है। यह समय नई ऊर्जा, समृद्धि और धार्मिक कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है। जिस दिन यह शुभ खगोलीय घटना होती है, उस दिन को हिन्दू पंचांग में ‘मकर संक्रांति’ कहते हैं। आइए जानते हैं, सूर्य का उत्तरायण होना क्या है, साल 2025 में इसकी सही डेट क्या है और साथ ही जानेंगे मकर संक्रांति का महत्व और स्नान-दान का मुहूर्त?
सूर्य का उत्तरायण होना क्या है?
खगोल विज्ञान के अनुसार, जब सूर्य मकर रेखा को पार कर उत्तर की ओर बढ़ते हैं, तो इसे उत्तरायण कहा जाता है। हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथों में उत्तरायण को देवताओं का दिन माना गया है, जो छह महीने की अवधि है। मान्यता है कि इस अवधि में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का प्रभाव अधिक होता है। उत्तरायण का महत्व क्या है, इसका महाभारत की एक खास घटना से पता चलता है।
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भीष्म पितामह ने मृत्यु के लिए की थी उत्तरायण प्रतीक्षा
महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह का शरीर बाणों से बिंध गया था, जिसे निकालना भी असंभव था। इससे उन्हें अत्यधिक शारीरिक पीड़ा हो रही थी, फिर उन्होंने प्राण नहीं त्यागे। बता दें कि उन्हें इच्छा-मृत्यु का वरदान प्राप्त था। उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार करते हुए इस पीड़ा को सहन किया, क्योंकि वे जानते थे कि सूर्य उत्तरायण काल में प्राण त्यागने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है। मोक्ष का अर्थ है जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति और परमात्मा के साथ एकात्म होना।
मकर संक्रांति 2025 कब है?
साल 2025 का पहला महत्वपूर्ण पर्व ‘मकर संक्रांति’ है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, जब सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन मकर संक्रांति मनाया जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, सूर्य की मकर संक्रान्ति का क्षण 14 जनवरी, 2025 को 09:03 AM है। इसलिए यह पर्व 14 जनवरी, 2025 को ही मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति 2025 स्नान-दान मुहूर्त
मकर संक्रान्ति मंगलवार 14 जनवरी, 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान के कार्यों का विशेष महत्व होता है। पंचांग के अनुसार, मकर संक्रान्ति के पुण्यकाल की कुल अवधि 8 घंटा 42 मिनट की है, जबकि स्नान-दान के लिए महापुण्य काल की अवधि मात्र 1 घंटा 45 मिनट की है।
- मकर संक्रान्ति पुण्यकाल: 09:03 AM से 05:46 PM तक
- मकर संक्रान्ति महापुण्य काल: 09:03 AM से 10:48 AM तक
तिल सकरात क्या है?
बता दें कि जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन से इसे कृषि के नए मौसम की शुरुआत माना जाता है। इस दिन को बिहार में तिल सकारात (Tila Sakarat), तिलवा लाई या खिचड़ी पर्व (Khichadi Festival) भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन बिहार, झारखंड और पूर्वी यूपी तिल और खिचड़ी का सेवन जरूर करते हैं।
दरअसल, यह पर्व भारत में अलग-अलग जगहों पर विशेष तरीके से मनाया जाता है, जैसे कि इसे गुजरात में पतंग उत्सव, तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत में पोंगल और पंजाब सहित उत्तर भारत में लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।