Mahakumbh 2025: महाकुंभ स्नान भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। इसे इस शताब्दी का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव माना गया है, जो इस साल प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हुआ। इस महाकुंभ मेले का समापन महाशिवरात्रि को होगा, जो इस साल 26 फरवरी 2025 को पड़ रही है। महाकुंभ का सबसे प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक काम है, गंगा नदी के जल में स्नान करना। इसे पुण्य की डुबकी लगाना भी कहते हैं। यह सवाल कई लोग पूछते हैं कि महाकुंभ स्नान में कितनी डुबकियां लगाना शुभ और फलदायी होता है?
कितनी डुबकियां लगाना है शुभ?
परंपरा और प्रचलित रिवाज के अनुसार, महाकुंभ में 3 बार डुबकी लगाना शुभ और लाभकारी माना गया है। कुछ लोग 5 डुबकी और कई लोग 11 या 21 डुबकी भी लगाते हैं। वहीं, मन्नत जैसी स्थिति में लोग 51 और 108 डुबकियां भी लगाते हैं। आइए जानते हैं, महाकुंभ स्नान में पुण्य की डुबकियों की संख्याओं का राज क्या है, जिससे आत्मशुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है और साथ ही यह भी जानेंगे कि पुण्य की 11 डुबकी लगाने के मायने क्या हैं?
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पुण्य की 3 डुबकियों के अर्थ
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, महाकुंभ के दौरान पवित्र नदी में 3 बार डुबकी लगाना अत्यंत शुभ माना गया है। यह तीन लोकों – धरती, स्वर्ग और पाताल, और त्रिदेव – ब्रह्मा (सृष्टि), विष्णु (पालन) और महेश (संहार) का प्रतीक है। पुण्य की 3 डुबकियां आत्मा, मन और शरीर की शुद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं। पहली डुबकी शरीर की शुद्धि और बाहरी अशुद्धियों को दूर करने के लिए, दूसरी डुबकी मन की शांति और मानसिक अशांति से मुक्ति के लिए और तीसरी डुबकी आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए लगाई जाती है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि प्रदान करती है।
इसलिए लगाते हैं 5 डुबकी
महाकुंभ और अन्य पवित्र नदियों में 5 डुबकी लगाने की परंपरा का गहरा धार्मिक महत्व है। इनमें से तीन डुबकियां त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश को समर्पित की जाती हैं। शेष दो डुबकियों में से एक अपने इष्ट देवता के लिए और दूसरी पितरों और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अर्पित होती है। महाकुंभ स्नान के दौरान पितरों की शांति के लिए विशेष अनुष्ठान भी किए जाते हैं, जो पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक पवित्र माध्यम है।
क्या है 11 डुबकी लगाने के मायने?
कुंभ स्नान के दौरान गंगा और अन्य पवित्र नदियों में सामान्यतः श्रद्धालुओं को कम से कम 3 या 5 डुबकियां लगाने की सलाह दी जाती है, लेकिन बहुत से भक्तगण अपनी श्रद्धा, मन्नतों और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए 11, 21, 51, या 108 डुबकियां भी लगाते हैं। 11 डुबकियों को ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इनमें से 9 डुबकियां वैदिक ज्योतिष के नवग्रहों- सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु को समर्पित की जाती हैं। शेष 2 डुबकियों में से एक अपने इष्ट देवता के लिए और दूसरी पितरों और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और उनकी आत्मा की शांति के लिए अर्पित होती है।
जहां 21 डुबकियों की बात है, तो यह संख्या गंगा और कुंभ के विशेष योग और 21 तीर्थों के प्रतीक के रूप में देखी जाती है। वहीं, 51, या 108 डुबकियां आध्यात्मिक साधना और भक्तिभाव का चरम रूप है। कहते हैं कि नागा साधुओं में 108 डुबकी लगाने का रिवाज है। ऐसा माना जाता है कि 108 डुबकियों से व्यक्ति को मोक्ष और ईश्वर की अनंत कृपा प्राप्त होती है। बता दें कि महाकुंभ स्नान की हर डुबकी को पापों के नाश और आत्मिक शांति प्राप्त करने का साधन माना गया है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।