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MahaKumbh 2025: सूर्य-गुरु से कुंभ मेले का है खास कनेक्शन, जानें कैसे तय होती है तारीख और स्थान

MahaKumbh 2025: हर 12 साल बाद महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। चलिए जानते हैं सूर्य और गुरु बृहस्पति ग्रह से कुंभ मेले का खास कनेक्शन क्या है। साथ ही आपको ये भी पता चलेगा कि मेले की तिथि और स्थान का चयन कैसे किया जाता है।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Dec 12, 2024 13:13
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MahaKumbh 2025
12 साल में क्यों लगता है महाकुंभ मेला?

MahaKumbh 2025: सनातन धर्म के लोगों के लिए कुंभ महापर्व का खास महत्व है। हर 12 साल में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है, जो लगभग 45 दिनों तक चलता है। महाकुंभ में हर बार लाखों की संख्या में साधु-संत और भक्तजन शामिल होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, महाकुंभ मेले में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साल 2025 में 13 जनवरी से महाकुंभ का आरंभ होगा, जिसका समापन 26 फरवरी को होगा। इस बार महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में होने वाला है।

महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन केवल चार स्थानों पर होता है, जिसकी तिथि का चयन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर होता है। वैदिक ज्योतिष की गणितीय गणना के आधार पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है, जिसका खास कनेक्शन सूर्य और गुरु बृहस्पति ग्रह से भी है। चलिए जानते हैं महाकुंभ की तिथि और स्थान का चयन कैसे किया जाता है।

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  • प्रयागराज महाकुंभ

वैदिक पंचांग के अनुसार, जब गुरु देव वृषभ राशि और सूर्य देव मकर राशि में विराजमान होते हैं, तो प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। साल 2025 में ग्रहों की ये ही स्थिति बन रही है, जिसके कारण इस बार महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में होगा।

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  • हरिद्वार महाकुंभ

जब गुरु कुंभ राशि और सूर्य मेष राशि में विराजमान होते हैं, तो हरिद्वार में महाकुंभ लगता है। साल 2033 में महाकुंभ का आयोजन हरिद्वार में होगा।

  • नासिक महाकुंभ

महाकुंभ का आयोजन नासिक में तब होता है, जब गुरु और सूर्य साथ में सिंह राशि में मौजूद होते हैं। साल 2027 में महाकुंभ का आयोजन नासिक में होगा।

  • उज्जैन महाकुंभ

जब गुरु सिंह राशि और सूर्य मेष राशि में विराजमान होते हैं, तो उज्जैन में महाकुंभ लगता है। साल 2028 में महाकुंभ का आयोजन उज्जैन में होगा।

12 साल बाद क्यों लगता है महाकुंभ?

पौराणिक कथा के अनुसार, लगभग 12 दिन तक अमृत कलश को पाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच लड़ाई हुई थी। देवताओं के 12 दिन मनुष्य के 12 साल के समान होते हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, गुरु बृहस्पति को 12 राशियों का चक्र पूरा करने में 12 साल का लंबा समय लगता है। इसलिए हर 12 साल बाद महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Nidhi Jain

First published on: Dec 12, 2024 01:13 PM

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