Mahabharata Story: महाभारत केवल एक महाकाव्य नहीं है, बल्कि यह रोचक कथाओं का एक विशाल भंडार है। इसमें नीति, कर्म, प्रेम, युद्ध, त्याग, बलिदान, धर्म और अधर्म से जुड़ी अनगिनत किस्से-कहानियां हैं। ऐसी ही एक कथा दुर्योधन की पत्नी के बारे में है, जिसका नाम भानुमति था। उसके बारे कहा जाता है कि वह अपूर्व सुंदरी थी। वह कांबोज के राजा चंद्रवर्मा की पुत्री थी। राजा ने उसके विवाह के लिए स्वयंवर रखा था। स्वयंवर में दुर्योधन और कर्ण समेत भारत के सभी महत्वपूर्ण राजा आमंत्रित थे, जिनमें शिशुपाल, जरासंध, रुक्मी आदि भी थे।
भानुमति का अपहरण
दुर्योधन चाहता था कि भानुमति उसे माला पहनाए, लेकिन स्वयंवर में भानुमति हाथ में माला लेकर दुर्योधन के सामने से आगे बढ़ गई। तब दुर्योधन ने उसके साथ से माला झपटकर खुद ही अपने गले में डाल ली। इस पर सभी राजाओं ने तलवारें निकाल लीं। कर्ण की सहायता से दुर्योधन ने सभी योद्धाओं सभी को परास्त कर दिया। वह भानुमति का अपहरण कर हस्तिनापुर ले आया।
महा कृष्णभक्त थी भानुमति
भानुमति के बारे कहा जाता है कि वह भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त थी। वह पूरी उम्र कृष्ण जी की पूजा करती रही। इसके लिए उसके पति दुर्योधन ने कई बार खरी-खोटी सुनाई, अपमान भी किया लेकिन भानुमति के लिए भगवान कृष्ण हमेशा आराध्य रहे। भानुमति की यह भक्ति दुर्योधन की मृत्यु के बाद भी बनी रही। भानुमति के बेटे का नाम लक्ष्मण था, जो खुद महाभारत के युद्ध में मारा गया। बेटी का नाम लक्ष्मणा था।
क्यों किया अर्जुन से विवाह?
प्रश्न उठता है कि भानुमति ने कौरवों के दुश्मन अर्जुन से क्यों विवाह कर लिया। भानुमति जितनी रूपवती थी, उतनी ही चतुर भी। कहा जाता है कि जब महाभारत का युद्ध तय हो गया, तब भानुमति को पता था कि कौरवों का सर्वनाश हो जाएगा। महाभारत युद्ध के बाद भानुमति नहीं चाहती थी कि आगे भविष्य में कोई युद्ध हो, लिहाजा कृष्ण के कहने पर उसने अर्जुन से विवाह कर लिया था।
भगवान कृष्ण के पुत्र से रचाई बेटी की शादी’
अपने कुनबे यानी वंश को बचाने के लिए भानुमति ने ही भगवान श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब को अपनी पुत्री लक्ष्मणा को अपहरण कर ले जाने की युक्ति सुझाई। कथा के अनुसार जब साम्ब ने लक्ष्मणा का अपहरण कर लिया, तो दुर्योधन बहुत क्रोधित हुआ, तब भानुमति ने दुर्योधन को अपने अपहरण की याद दिलाई और साम्ब से लक्ष्मणा के विवाह में अहम भूमिका निभाई। कहते हैं, भानुमति ने अपने कुनबे को बचाने के लिए हर वो असंगत कार्य किया, हर उस चीज को जोड़ा, जिसका जुड़ना संभव नहीं था। इसीलिए ‘कहीं का ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा’ संबंधित कहावत बनी।
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