आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में स्थित देवी कन्याका परमेश्वरी मंदिर को महानवमी के शुभ अवसर पर 5 करोड़ के नोटों, 7 किलो सोने और 12 किलो चांदी से सजाया गया है. मां कन्याका परमेश्वरी देवी को पार्वती या लक्ष्मी का अवतार माना जाता है.
Maha Navami Navratri 2025, Shubh Muhurat, Puja Vidhi Live Updates: आज 1 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि है. नवमी को कन्या पूजन करने का महत्व होता है. नवमी तिथि को नवरात्रि का समापन हो जाता है और इस दिन दुर्गा विसर्जन भी होता है. नवरात्रि में नौवां दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है. शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि को महानवमी भी कहते हैं.
नवमी को कन्या पूजन में नौ कन्याओं और एक बालक को भोजन कराना चाहिए. इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं. नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री को पूजते हैं. उनका स्वरूप बेहद ही निराला है. उनकी सवारी सिंह है. मां की चार भुजाएं हैं. एक हाथ में गदा, दूसरे में चक्र, तीसरे हाथ में कमल का फूल और चौथे हाथ में शंख सुशोभित है. चलिए आपको नवरात्रि के नौवें दिन शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती के बारे में बताते हैं.
शारदीय नवरात्रि नवमी तिथि पर मां सिद्धिरात्री के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, भोग आदि सभी जानकारी के लिए बने रहें न्यूज24 लाइव के साथ…

जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता। तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि। तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥
तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा। महा नन्दा मन्दिर में है वास तेरा॥
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥

सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और हरे रंग के स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कर शुद्ध करें. मां दुर्गा की प्रतिमा के पास देवी सिद्धिदात्री की तस्वीर स्थापित करें. आप व्रत का संकल्प लें और माता रानी को फूल, फल, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य और मिठाई अर्पित करें. मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं और माता सिद्धिदात्री के मंत्र का जाप करें. व्रत की कथा पढ़ें और आरती करके पूजा का समापन करें.