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Maha Kumbh 2025: हाथी, घोड़े, ऊंट पर सवार होकर श्री पंचायती आनंद अखाड़ा का भव्य प्रवेश; शाही अंदाज में आए नागा साधु

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ की शुरुआत से पहले प्रयागराज में नागा साधुओं की टोली ने भव्य अंदाज के साथ प्रवेश किया है। श्री पंचायती आनंद अखाड़े के नागा साधुओं ने  द्वारा हाथी, घोड़े, ऊंट पर सवार होकर नगर में प्रवेश किया है।

Edited By : Simran Singh | Updated: Jan 6, 2025 17:51
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Maha Kumbh 2025 Grand entry of Shri Panchayati Anand Akhara riding on elephant horse camel Naga Sadhu came in royal style
महाकुंभ 2025

दीपक दुबे,

प्रयागराज: Maha Kumbh 2025: महाकुंभ की शुरुआत होने में अब बस कुछ ही दिनों का समय बाकी है ऐसे में कई अखाड़ों का नगर प्रवेश भव्य रूप में हो चुका है। आज श्री पंचायती आनंद अखाड़ा का शाही अंदाज में नगर प्रवेश हुआ है। जहां हाथी, घोड़े, ऊंट पर सवार होकर नागा साधुओं ने नगर प्रवेश को मनमोहक और भव्य बनाया। इनके हाथों में त्रिशूल, गदा, भाला, भरछी समेत अनेकों इनके अस्त्र शस्त्र मौजूद थे। फूल मालाओं से सुशोभित भव्य यात्रा की अगुआई घोड़ों पर सवार पुलिसकर्मी पद यात्रा करते सुरक्षा प्रदान करते हुए नजर आए।

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इनके पीछे नागा साधुओं की टोली इस अखाड़ा के ईष्ट देव भगवान सूर्य की पालकी को लेकर अपने अखाड़ा तक पहुंचे ।जहां हजारों की संख्या में नागा साधु, संन्यासी, साधु संत, महात्मा, महंत, महामंडलेश्वर भी इस यात्रा की शोभा को बढ़ाया।

प्रयागराज की अलग अलग सड़कों से निकली भव्य नगर प्रवेश को देखने के लिए न सिर्फ प्रयागराज से बल्कि देश के अलग अलग हिस्सों से आए लोगों ने साधु संतों का आशीर्वाद लिया। महिलाएं, बुजुर्ग बच्चे युवा सभी फूलों की बारिश करते हुए यात्रा पर नजर आए।

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यह नगर प्रवेश बाघंबरी मठ के पास स्थित आनंद अखाड़ा परिसर से निकला जिसमें एक हजार से ज्यादा साधु संन्यासी शामिल हुए। जहां अलग अलग ढोल नगाड़े, डीजे, सांस्कृतिक नृत्य करते हुए लोग नजर आए। हाथी, घोड़े, ऊंटों को सजाया गया था।

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आपको बता दें कि इस अखाड़ा के ईष्ट देव भगवान सूर्य है। सबसे आगे अखाड़े का धर्मध्वजा चलेगा जिस पर भगवान सूर्य देव स्थापित होंगे। इसके बाद आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि महराज का रथ निकला जहां उनके शिष्य उनके समीप खड़े नजर आए और बालकानंद महाराज दोनों सड़क किनारे खड़े लोगों को आशीर्वाद देते नजर आए। इस शोभा यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया है।

इस अखाड़ा से संबंधित नागा सन्यासियों का अद्भुत रूप ने सभी का मन मोह लिया। जहां अनोखे रंग,रूप में गाजे बाजे के साथ यात्रा की भव्यता को और बढ़ाया। यह भव्य शोभायात्रा भारद्वाजपुरम्, बाघम्बरी, रामलीला पार्क लेबर चौराहे, बजरंग चौराहा,अलोपीबाग होते हुए महाकुंभ के छावनी में प्रवेश किया। इसमे देश भर से आये हुए महामंडलेश्वर, संत महात्मा, सन्यासी, रथों, घोडों पर सवार बैंड बाजा सहित सभी भक्तों को अपना आशीर्वाद देते हुए नजर आए। इस अखाड़ा का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है और इसकी स्थापना 855 ईस्वी में महाराष्ट्र के बरार नामक स्थान पर हुई थी। इस अखाड़े को निरंजनी अखाड़े का छोटा भाई भी कहा जाता है।

इस अखाड़ा में संन्यास की प्रक्रिया सबसे कठिन है। इसमें ब्रह्मचारी बनाकर 3 से 4 वर्ष तक आश्रम में रहना होता है और उसमें खरा उतरने पर ही कुंभ या महाकुंभ में संन्यास की दीक्षा जी जाती है। पिंडदान करवाकर दीक्षा दी जाती है।

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Edited By

Simran Singh

First published on: Jan 06, 2025 05:28 PM

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