Temples of India: त्रिदेवों में से एक भगवान विष्णु को संसार का पालनहार माना गया है। सभी देवों में उनके रूपों की सबसे अधिक पूजा की जाती है। भगवान राम, कृष्ण, जगन्नाथ, बद्रीनाथ, बांके बिहारी आदि उनके ही प्रसिद्ध रूप हैं और इनके भव्य और विशाल मंदिर बने हैं। लेकिन भगवान विष्णु का एक ऐसा भी पूजा स्थल हैं, जहां वे खुले आकाश के नीचे विराजमान हैं। सिर पर कोई छत नहीं है और बारिश, धूप, सर्दी आदि सभी मौसमों को स्वयं महसूस कर प्रत्यक्षदर्शी बनते हैं।
अनंतशयन विष्णु
भगवान विष्णु के इस रूप का नाम है, अनंतशयन या अनंतशायी विष्णु। अनंत शेषनाग का एक नाम है। इनके ऊपर शयन की मुद्रा में होने के कारण भगवान विष्णु का यह नाम पड़ा है। भगवन्न विष्णु का यह पूजा स्थल ओडिशा जिले के ढेंकनाल जिले के सारंगा गांव में ब्राह्मणी नदी के किनारे सदियों पहले नीले आसमान के नीचे बनाया गया था। भक्त और श्रद्धालु खुले आसमान के नीचे ही उनकी चतुर्भुजी स्वरुप की पूजा करते हैं।
भगवान विष्णु की सबसे बड़ी प्रतिमा
अनंतशायी विष्णु को सारंगा गांव में ब्राह्मणी नदी के बाएं किनारे बड़ी खुली हवा में क्षैतिज चट्टान को काटकर बनाया गया है। इसका निर्माण 9वीं शताब्दी की शुरुआत किया गया था, जिसकी लंबाई लगभग 51 फीट है, जो भगवान विष्णु की भारत में सबसे बड़ी संरचना है। इससे बड़ी संरचना भगवान गोमतेश्वर की है, जो दक्षिण भारत में है।
भौमकर काल में बनी थी यह प्रतिमा
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार, यह प्रतिमा तब बनाई गई थी जब ओडिशा के मध्य भाग में भौमकर वंश के राजाओं का शासन था। भौमकर वंशीय राजा भगवान विष्णु के महान उपासक थे। 9वीं शताब्दी ई. की पहली तिमाही में ऐसी दो प्रतिमाएं, एक सारंगा गांव में और दूसरी ऊपरी ब्राह्मणी नदी घाटी में दनकल नामक स्थान पर, बनाई गई थीं।
कैसे पहुंचे यहां
भगवान विष्णु की यह प्रतिमा 200 फीट की ऊंचाई पर ब्राह्मणी नदी के नदी तल के बाएं तट पर परजांगा तहसील में स्थित है। यह तहसील ढेंकनाल जिले के मुख्यालय से 67 किलोमीटर और अंगुल से जिले से 23 की दूरी पर स्थित है। यहां आने के लिए सबसे पहले अंगुल के तालचेर आना जरूरी है। तालचेर नगर से यह पूजास्थल मात्र 3 किमी की दूरी पर है, जहां टैक्सी या ऑटो से पहुंचा जा सकता है।
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