Chaitra Navratri 2025: आज चैत्र नवरात्रि का 9वां और अंतिम दिन है। नवरात्रि के अंतिम पड़ाव में मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। जैसा कि मां के नाम से ही विदित है कि वह संपूर्ण सिद्धियां प्रदान कर भक्त और साधक को सिद्धि देती हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति पूर्ण समर्पण से मां की उपासना करते हैं, वे मां में और मां उनमें स्थित हो जाती हैं। इसके साथ ही आज नवमी तिथि को कन्या पूजन भी करते हैं। आइए जानते हैं, मां सिद्धिदात्री की कथा, पूजा विधि, मंत्र, आरती, उनका प्रिय भोग और कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त।
मां सिद्धिदात्री की उत्पत्ति कथा
जब महिषासुर नामक दैत्य के अत्याचारों से तीनों लोकों में आतंक का वातावरण था और हर ओर अराजकता और निराशा थी, तब स्वर्ग में देवता, पृथ्वी पर ऋषि-मुनि और मानव सभी त्राहिमाम कर उठे थे। ऐसे में, सभी देवताओं, ऋषियों और मुनियों ने भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास जाकर अपनी पीड़ा और व्यथा सुनाई। भगवान शिव और भगवान विष्णु ने इन सभी से देवी आदिशक्ति का आह्वान करने के लिए कहा।
ये भी पढ़ें: इन 3 तारीखों में जन्मी लड़कियां होती हैं हर काम में सफल, बनती हैं बेशुमार धन की मालकिन
तब सभी देवतागण और सप्तर्षियों ने एक महातेज उत्पन्न किया, और उसी तेज से एक दिव्य शक्ति का रूप लिया, जिसे हम मां सिद्धिदात्री के नाम से जानते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने आठ सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए मां सिद्धिदात्री की कठिन तपस्या की थी। मां सिद्धिदात्री की कृपा से भगवान शिव को न केवल आठों सिद्धियां प्राप्त हुईं, बल्कि उनका आधा शरीर देवी का बन गया। इस अद्भुत रूप में महादेव अर्धनारीश्वर के रूप में प्रतिष्ठित हुए। मां दुर्गा के नौ रूपों में से यह रूप सबसे शक्तिशाली और परम माना जाता है।
ऐसा है मां सिद्धिदात्री का रूप
मां दुर्गा का यह दिव्य स्वरूप सिंह पर विराजमान है। वह चतुर्भुज रूप में अत्यंत सुशोभित दिखाई देती हैं। गतिशील होते हुए मां सिंह पर सवार होकर तथा अचला स्वरूप में कमलपुष्प के आसन पर विराजित होती हैं। मां के एक-एक हाथ में चक्र, गदा, शंख और कमलपुष्प दृष्टिगोचर होते हैं। यदि नवरात्रि के अंतिम दिन भी भक्त पूर्ण एकाग्रता और निष्ठा के साथ मां की आराधना करते हैं, तो उन्हें निश्चित ही सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं। यह स्वरूप मां की महिमा और आशीर्वाद की अद्भुत पराकाष्ठा को दर्शाता है, और भक्तों को अनंत शक्तियों से समृद्ध करता है।
मां सिद्धिदात्री की पूजा से मिलते हैं ये फल
नवरात्रि के नवम दिवस पर मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की आराधना का विशेष महत्व है। सिद्धिदात्री वह देवी हैं, जो अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों का आशीर्वाद देती हैं। सिद्धियों का अर्थ है – आत्मा की पूर्णता, आत्मज्ञान, और आध्यात्मिक उन्नति के सर्वोत्तम उपाय। जब हम मां दुर्गा के इस स्वरूप की आराधना करते हैं, तो हमें जीवन में समृद्धि, शक्ति, और बुद्धि प्राप्त होती है। यह दिन विशेष रूप से हमें यह समझने का अवसर प्रदान करता है कि केवल भक्ति से ही नहीं, बल्कि सही मार्गदर्शन और सही सोच से भी हम जीवन में हर सफलता को प्राप्त कर सकते हैं।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि
- नवरात्रि की नवमी तिथि को स्नानादि से निवृत्त हो जाएं और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद, मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराकर उन्हें सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है।
- मां सिद्धिदात्री को सफेद कमल का फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है। स्नान के बाद, मां को सफेद पुष्प अर्पित करें और उन पर रोली एवं कुमकुम लगाएं।
- अब मां को मिष्ठान, पंचमेवा, फल आदि अर्पित करें। माता सिद्धिदात्री को विशेष रूप से नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के फल अर्पित किए जाते हैं। साथ ही, उन्हें मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अर्पित करना बहुत प्रिय माना जाता है, और ऐसा भोग अर्पित करने से वह अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
- पूजा के दौरान मां का ध्यान पूरे मन और श्रद्धा से करें। अंत में, देवी माता की आरती करके पूजा सम्पन्न करें।
- यदि आपने नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करने का संकल्प लिया है, तो पूजा विधिपूर्वक संपन्न करने के बाद निष्ठापूर्वक कन्या पूजन करें। तभी आपकी पूजा सम्पूर्ण रूप से सफल मानी जाएगी।
मां सिद्धिदात्री का मंत्र
मां सिद्धिदात्री स्तुति मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पूजा मंत्र: सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि, सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
स्वयं सिद्ध बीज मंत्र: ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
मां सिद्धिदात्री का प्रिय भोग
नवरात्रि के नवें दिन की पूजा में माता सिद्धिदात्री को विशेष रूप से पूरी, चने और हलवे का भोग अर्पित किया जाता है। यह भोग कन्याओं को भी दिया जाता है, क्योंकि इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। कन्या पूजन करने से ही मां के नौ दिनों की पूजा पूरी होती है और भक्तों को देवी के आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। इस दिन के लिए चावल, दूध, चीनी और केसर युक्त खीर का भोग भी बहुत शुभ माना जाता है।
नवमी कन्या पूजन 2025 का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 05 अप्रैल 2025 को रात 07:26 PM बजे से आरंभ होकर 06 अप्रैल 2025 को रात 07:22 PM बजे तक रहेगी। इस दिन कन्या पूजन का अभिजित मुहूर्त 11:58 AM बजे से लेकर 12:49 PM बजे तक रहेगा, जो पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता। तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि। तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा। महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।
ये भी पढ़ें: इन 3 राशियों के लिए हीरा और सोना से भी अधिक फायदेमंद है तांबे का छल्ला, लग जाता है धन-दौलत का अंबार
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।