Mahabharat Katha: द्वापरयुग के महाभारत काल में अर्जुन और श्रीकृष्ण की जोड़ी को लेकर कई कथाएं हैं। महाभारत के युद्ध में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बने थे। भगवान श्रीकृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन के साथ हुआ था। इस कारण रिश्ते में अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के बहनोई थे।
इसके साथ ही भगवान श्रीकृष्ण का दुर्योधन के साथ ही बेहद ही करीबी रिश्ता था। दरअसल भगवान श्रीकृष्ण और दुर्योधन समधी थे। जी हां भगवान श्रीकृष्ण के बेटे का विवाह दुर्योधन की बेटी के साथ हुआ था।
श्रीकृष्ण कैसे बने दुर्योधन के समधी?
भगवान श्रीकृष्ण की 8 पत्नियों में से एक जाम्बवती के पुत्र का नाम साम्ब था। साम्ब का दिल दुर्योधन और भानुमती की पुत्री लक्ष्मणा पर आ गया था और वे दोनों एक दूसरे से प्रेम करते थे। भानुमती सुदक्षिण की बहन और दुर्योधन की पत्नी थीं, उनके पुत्र का नाम लक्ष्मण और पुत्री का नाम लक्ष्मणा था।
लक्ष्मणा का किया था अपहरण
दुर्योधन अपनी पुत्री का विवाह भगवान श्रीकृष्ण के बेटे से नहीं करना चाहता था। इस कारण उसने लक्ष्मणा का स्वयंवर आयोजित किया, लेकिन उसमें भगवान श्रीकृष्ण के राज्य द्वारिका से किसी को नहीं बुलाया। यह बात श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब को पता चली तो वह स्वयंवर में पहुंच गया और दुर्योधन की बेटी का अपहरण कर उसे द्वारिका ले जाने लगा।
जब यह बात कौरवों को पता चली तो वे पूरी सेना के साथ साम्ब से युद्ध करने आ गए और युद्ध में साम्ब को बंदी बना लिया।
बलराम आए हस्तिनापुर
जब यह बात बलराम को पता चली तो वे साम्ब को छुड़ाने हस्तिनापुर आए। उन्हें लगा कि दुर्योधन उनका शिष्य है तो उनकी बात मान लेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उल्टा कौरवों ने बलराम का अपमान किया।
गंगा नदी में डुबोने चल दिए पूरा राज्य
अपमान से बलराम को क्रोध आ गया और उन्होंने अपने हल से हस्तिनापुर की धरती को खींच लिया और उसे गंगा में डुबोने चल दिए। इस पर कौरव डर गए और सभी ने बलराम से माफी मांगी।
बन गए समधी
इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण के बेटे साम्ब और दुर्योधन की बेटी लक्ष्मणा का विवाह सभी रीति-रिवाजों के साथ हुआ और इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण और दुर्योधन आपस में समधी बन गए।
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