Kamika Ekadashi 2024 Date: साल की सभी 24 एकादशियों में कामिका एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि देवशयनी एकादशी के दिन 4 महीने के लिए भगवान विष्णु के सो जाने के बाद यह पहली एकादशी है। सावन के महीने में पड़ने कारण से भी यह महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस एक एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी सहित भगवान शिव और मां पार्वती का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं, कामिका एकादशी कब है, पूजा का शुभ मुहुर्त और पारण का समय क्या है?
कामिका एकादशी कब है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, सावन महीने में दो एकादशियां होती हैं। इस माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं, वहीं शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा गया है। सावन 2024 में एकादशियों में श्रेष्ठ कामिका एकादशी का व्रत 31 जुलाई को रखा जाएगा। सभी एकादशियों की तरह यह फलदायी एकादशी भी भगवान विष्णु को समर्पित है।
कामिका एकादशी का महत्व
धार्मिक ग्रंथों में कामिका एकादशी की बहुत प्रशंसा की गई है। ग्रंथों के अनुसार, इस एकादशी को करने का पुण्य न केवल व्रती यानी साधक-साधिका को प्राप्त होता है, बल्कि उनके पूर्वज और पितर भी लाभान्वित होते हैं। मान्यता है कि इस व्रत की रात को भगवान के मंदिर में दीपक जलाने से व्रती के पितरों को स्वर्गलोक में अमृतपान कराया जाता है। वहीं, जो व्रती घी या तेल का दीपक जलाते हैं, उनको इस जीवन के बाद सूर्य लोक में स्थान प्राप्त होता है। मान्यता है कि कामिका एकादशी का व्रत रखने से ब्रह्महत्या जैसे पाप भी नष्ट हो जाते हैं। व्रत की कथा को श्रद्धापूर्वक सुनने मनुष्य इस जीवन के बाद विष्णु लोक में स्थान पाता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
सावन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत मंगलवार 30 जुलाई, 2024 की शाम 4 बजकर 44 मिनट से होगी, जो अगले दिन यानी बुधवार 31 जुलाई को दोपहर बाद 3 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। सूर्य के उदय होने की तिथि यानी उदयातिथि के आधार पर कामिका एकादशी का व्रत 31 जुलाई को रखा जाएगा। इस एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त सर्वार्थ सिद्धि योग में सूर्योदय के बाद 3 बजकर 55 मिनट से पहले तक करना विशेष फलदायी है।
जानें पारण का समय
हिन्दू धर्म में एकादशी और अन्य व्रत तोड़ने के नियम को पारण कहते हैं। कामिका एकादशी का का पारण गुरुवार 1 अगस्त, 2024 को किया जाएगा। पंचांग के मुताबिक पारण का शुभ मुहूर्त सुबह में 5 बजकर 43 मिनट से से 8 बजकर 24 मिनट तक है। इसकी कुल अवधि 2 घंटे 41 मिनट के भीतर व्रती को अपना एकादशी व्रत जरूर तोड़ लेना चाहिए, अन्यथा व्रत का पूरा फल नहीं प्राप्त होता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।