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Religion

Kawad Yatra 2025: रावण ने क्यों और किसके लिए की थी कावड़ यात्रा? जानें त्रेता युग की पौराणिक कथा

Kawad Yatra Pauranik Katha: धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में रावण ने भी भगवान शिव के लिए कावड़ यात्रा की थी, जिसके बाद से ही देशभर में कावड़ यात्रा की शुरुआत हुई। आज हम आपको उस कारण के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके चलते रावण ने भगवान शिव के लिए कावड़ यात्रा की थी।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Nidhi Jain Updated: Jul 5, 2025 09:33
Kawad Yatra 2025
सांकेतिक फोटो, Credit- News24 Graphics

Kawad Yatra 2025: रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है, जिसमें अहंकार, लालच, गुस्सा, मोह, जलन, चिंता, स्वार्थ, अज्ञान और द्वेष की भावना बहुत ज्यादा थी। हालांकि कुछ समुदाय के लोग रावण को एक महान योद्धा और विद्वान भी मानते हैं और नियमित रूप से उनकी पूजा करते हैं। रावण को भगवान शिव का परम भक्त भी माना जाता है। वो सुबह-शाम शिव जी की पूजा करते थे और उनकी आराधना में लीन रहते थे।

रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। साथ ही शिव तांडव स्तोत्र की रचना की थी। इसके अलावा रावण ने भगवान शिव के लिए कावड़ यात्रा भी की थी, जिसके बाद से ही देशभर में कावड़ यात्रा की शुरुआत हुई। चलिए जानते हैं वो कौन-सी वजह थी, जिस कारण रावण ने भगवान शिव के लिए कावड़ यात्रा की थी।

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इस कारण रावड़ ने किया था पुरा महादेव का जलाभिषेक

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेता युग में विश्व को बचाने के लिए भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष को पी लिया था। लेकिन विष के नकारात्मक प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ने लगा था और शरीर में गर्मी के कारण जलन हो रही थी। ये बात जब रावण को पता चली तो उन्होंने किसी पवित्र नदी से कांवड़ में गंगाजल भरकर पुरा महादेव में स्थित शिव मंदिर में शिवलिंग का जलाभिषेक किया।

पुरा महादेव, जिसे पुरामहादेव और परशुरामेश्वर भी कहते हैं, वो उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के पास बागपत जिले के बालौनी कस्बे में स्थित भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है। कहा जाता है कि गंगाजल के शीतल प्रभाव से भगवान शिव को विष की पीड़ा से मुक्ति मिली। इसी के बाद से देशभर में कांवड़ यात्रा की परंपरा की शुरुआत हो गई। हालांकि कावड़ यात्रा के शुरू होने के पीछे कई और कहानियां भी प्रचलित हैं।

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महादेव को खुश करने के लिए करते हैं कावड़ यात्रा

हर साल बड़ी संख्या में भक्तजन कावड़ यात्रा के दौरान गंगा, नर्मदा, शिप्रा या गोदावरी जैसी किसी पवित्र नदी से जल को कांवड़ में ढोकर लाते हैं और फिर उसे अपने घर के पास मौजूद किसी प्राचीन शिव मंदिर में शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को शांति, सुख, समृद्धि, और वैभव आदि का वरदान देते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jul 05, 2025 09:33 AM

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