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Kaalchakra: नवरात्रि में कर रहे हैं कन्या पूजन तो न करें ये गलतियां, पंडित सुरेश पांडेय से जानें नियम

Kaalchakra Today: नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है, जिसके बाद अष्टमी तिथि या नवमी तिथि को कन्या पूजन करके उपवास का समापन किया जाता है. चलिए प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ पंडित सुरेश पांडेय से जानते हैं कन्या पूजन के महत्व और नियमों के बारे में.

Author Written By: Pandit Suresh Pandey Updated: Sep 29, 2025 11:24
Kaalchakra Today 29 September 2025
Credit- News24 Graphics

Kaalchakra Today 29 September 2025: सनातन धर्म के लोगों के लिए मां दुर्गा को समर्पित 9 दिन के पर्व शारदीय नवरात्रि का खास महत्व है. शारदीय नवरात्रि के पहले दिन जहां घर में मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की जाती है, वहीं, 10 दिन बाद दुर्गा विसर्जन करके इस पर्व का समापन होता है. हालांकि, इससे पहले कन्या पूजन किया जाता है. कई लोग अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं तो कुछ नवमी तिथि पर कन्या पूजन करके नवरात्रि व्रत का समापन करते हैं. द्रिक पंचांग के अनुसार, इस बार 30 सितंबर को अष्टमी पूजा, 1 अक्टूबर को नवमी पूजा और 2 अक्टूबर 2025 को दुर्गा विसर्जन होगा.

कन्या पूजन के दौरान घर में छोटी 7 से 11 कन्याओं और 1 बालक को बुलाया जाता है और उन्हें भोजन कराया जाता है. शास्त्रों की मानें तो कन्या पूजन के दौरान कई नियमों का पालन करना होता है, नहीं तो साधक को पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है. आज के कालचक्र में प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ पंडित सुरेश पांडेय आपको कन्या पूजन के दौरान की जाने वाली गलतियों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.

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कन्या पूजन की विधि

घर में कन्याएं आएं तो तुरंत उनको भोजन कराने के लिए न बिठाएं. सबसे पहले उनके पैर धोएं और उनका हल्दी या कुमकुम से तिलक करें और चावल लगाएं. कुंवारी कन्याओं को साफ आसन पर बिठाएं. किसी एक कन्या से घर का सदस्य अपने हाथ में कलावा बंधवाएं. फिर मां दुर्गा को हलवा, पूड़ी, खीर, चना और फल का भोग लगाएं, जिसके बाद कन्याओं को खीर, पूड़ी और हलवा खिलाएं. भोजन कराने के बाद कन्याओं का हाथ धुलाते समय उनको उस स्थान से उठाएं नहीं बल्कि एक बड़ी थाल में लोटे में पानी भरकर उनके हाथ धुलवाएं. कन्याओं को भोजन करने के बाद उन्हें 5 तरह की सामग्री देना बहुत शुभ होता है.

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कन्या पूजन के नियम

  • घर में ज्यादा कन्याएं या बटुक भैरव (बालक) आ जाएं तो उन्हें खाली हाथ वापस न लौटाएं. कुछ न कुछ देकर ही उन्हें अपने द्वार से विदा करें.
  • कन्याओं के जाने के बाद थाल को तुरंत न हटाएं. न ही उस स्थान की सफाई करें.
  • कन्याओं के घर से जाने के कुछ देर बाद जमीन पर गिरे भोग को एक कपड़े से साफ करें.
  • कन्याओं को आप जिन बर्तनों में भोजन करा रहे हैं, उन्हें फौरन न धोएं.
  • कन्याओं को रेडिमेड चिप्स देने से बचें. दरअसल, बाजार की चीजों में लहसुन-प्याज हो सकता है. इसके अलावा उन्हें सात्विक और शुद्ध नहीं माना जाता है.
  • बाहर से खाना मंगवाकर कन्या पूजन न करें. यदि खाना नहीं बना सकते हैं तो उन्हें फल, मिठाई या ड्राई फ्रूट्स का भोजन कराएं.
  • स्टील, पत्तल या लकड़ी की प्लेट में कन्याओं को भोजन परोसना शुभ होता है.
  • कन्याओं की थाल में लौंग रखने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं.

यदि आप कन्या पूजन से जुड़े और नियमों के बारे में जानना चाहते हैं तो उसके लिए ऊपर दिए गए वीडियो को देख सकते हैं.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Sep 29, 2025 11:04 AM

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