चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। आज नवरात्रि का चौथा दिन है। आज मां दुर्गा के चौथे रूप देवी कूष्माण्डा की पूजा करना शुभ रहेगा। दरअसल, नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। साथ ही व्रत रखना भी शुभ माना जाता है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है।
दुर्गा सप्तशती को चंडीपाठ भी कहा जाता है, जिसमें 360 शक्तियों का वर्णन है। इसके 700 श्लोकों को तीन भागों में बांटा गया है, जिसमें महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की महिमा का वर्णन है। दुर्गा सप्तशती के कुल 13 अध्याय हैं, जिनके पाठ से साधक को अलग-अलग फल की प्राप्ति होती है। आज के कालचक्र में पंडित सुरेश पांडेय आपको बताने जा रहे हैं कि दुर्गा सप्तशती के किस अध्याय से साधक को क्या लाभ होता है।
हर एक अध्याय का महत्व
- दुर्गा सप्तशती के पहले अध्याय का पाठ करने से सभी प्रकार की चिंताएं दूर होती हैं।
- दुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय का पाठ करने से किसी भी तरह की शत्रु बाधा दूर होती है। साथ ही मुकदमे में विजय प्राप्त होती है।
- दुर्गा सप्तशती के तीसरे अध्याय का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है।
- दुर्गा सप्तशती के चौथे अध्याय का पाठ करने से मां जगदंबे दर्शन देती हैं।
- दुर्गा सप्तशती के 5वें अध्याय का पाठ करने से भक्ति, शक्ति और देवी दर्शन का आशीर्वाद मिलता है।
- दुर्गा सप्तशती के छठे अध्याय का पाठ करने से दुख, दरिद्रता और भय से मुक्ति मिलती है।
- दुर्गा सप्तशती के सातवें अध्याय का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- दुर्गा सप्तशती के 8वें अध्याय का पाठ करने से आकर्षण बढ़ता है।
- दुर्गा सप्तशती के 9वें और 10वें अध्याय का पाठ करने से संतान की प्राप्ति और उन्नति का वरदान मिलता है। खोई चीज को पाने के लिए भी ये पाठ करना अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
- दुर्गा सप्तशती के 11वें अध्याय का पाठ करने से हर तरह की भौतिक सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
- दुर्गा सप्तशती के 12वें अध्याय का पाठ करने से मान-सम्मान और यश बढ़ता है।
- दुर्गा सप्तशती के 13वें अध्याय का पाठ करने से भक्ति की प्राप्ति होती है।
कैसे करें दुर्गा सप्तशती का पाठ?
दुर्गा सप्तशती के कुछ अध्यायों में उच्च स्वर, कुछ में मंद स्वर और कुछ में शांत मुद्रा में बैठकर पाठ करना चाहिए। कीलक मंत्र का जाप शांत मुद्रा में बैठकर दुर्गा सप्तशती से पहले करना चाहिए। जबकि देवी कवच उच्च स्वर में, श्रीअर्गला स्तोत्र का प्रारंभ उच्च स्वर और समापन शांत मुद्रा में करना चाहिए।
यदि आप दुर्गा सप्तशती पाठ से जुड़े अन्य नियमों के बारे में जानना चाहते हैं, तो इसके लिए ऊपर दिए गए वीडियो को देख सकते हैं।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।