मातुल शर्मा, मथुरा।
बरसाना और नंदगांव के बाद 10 मार्च, मंगलवार को भगबान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में होली का धमाल मचा। हुरियारों ने रंग, गुलाल, फूल और नाच-गानों के साथ भगबान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर खूब धूम मचाई।
पूरा जन्मभूमि परिसर राधा-कृष्ण की प्रेम भरी होली के उल्लास भरे रंग में रंग उठा और ‘उड़त गुलाल लाल भए बदरा, आज बिरज में होली है रसिया’ की गूंज गूंजने लगी।
प्रकृति के इस अलौकिक वसंतोत्सव में होली का विशेष महत्व है, क्योंकि यह लोकप्रिय त्योहार सुप्त जीवन के जागरण का पर्व है और चेतनाओं को शक्ति देने का प्रतीक है।
होली पर साधारण प्राणी तो क्या अध्यात्म-चिंतन में लीन भक्त भी अपने आराध्य देव प्रभु श्रीकृष्ण के साथ विभिन्न खेल करता है। आज ऐसा ही हुआ भगबान कृष्ण की जन्मभूमि पर। बरसाना और नंदगांव के बाद यहां जमकर होली खेली गई।
जन्मभूमि स्थित मंच पर राधा-कृष्ण के स्वरुप के आते ही होली के हुरियारे और हुरियारिनों ने होली के गीतों पर जमकर ठुमके लगाए। फिर बह चाहे ब्रज का प्रसिद्ध मयूर नृत्य हो या गागर या जेयर, या फिर चरकुला नृत्य हो।
इन नृत्यों की छटा देखकर वहां उपस्थित श्रद्धालु मंत्र-मुग्ध हो गए और प्रिय-प्रियतम के रंग में रंग गए।
लीला मंच पर जैसे ही राधा-कृष्ण के स्वरुप और उपस्थित लोगों ने फूलों की होली खेलना शुरू किया, तो वहां मौजूद हुरियारिनें अपने आप को न रोक सकीं और हुरियारों पर रंगों के बीच लाठियां बरसाने लगीं. हुरियारों ने भी हुरियारिनों से बचाव के लिए लाठियों का ही प्रयोग किया।
भगवान श्रीकृष्ण के जन्म स्थान पर खेली गई इस अनोखी होली में भाग लेकर हर कोई श्रद्धालु अपने को धन्य मान रहा था, क्योंकि एक तो यह भूमि स्वयं भगबान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है और इसके बाद यहां नाच-गाना, फूल, रंग, गुलाल और लाठियों का खेल का मिश्रण पूरे वातावरण को रंगमय कर रहा था।
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