---विज्ञापन---

Religion

हलषठ और बलराम जयंती आज, जानिए क्यों रखा जाता है ये व्रत?

Halshashti and Balaram Jayanti 2025: 14 अगस्त 2025 को भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है। इस दिन भगवान बलराम की जयंती और हलषठ का पर्व मनाया जाता है। माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु के लिए इस दिन व्रत करती हैं। आइए जानते है हलषठ का पूजा मुहूर्त और विधि क्या है?

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Aug 14, 2025 02:55
Balaram Jayanti 2025

Halshashti and Balaram Jayanti 2025: आज, 14 अगस्त 2025 को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है। इस दिन हलषष्ठी और बलराम जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्मदिन होता है। हलषष्ठी को हरछठ, ललही छठ, चंदन छठ, तिनछठी या खमर छठ जैसे नामों से भी जाना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए रखती हैं। बलराम जी, को हलधर के नाम से जाना जाता है, क्योंकि उनका मुख्य शस्त्र हल है।

क्यों रखा जाता है हलषठी व्रत?

हलषष्ठी और बलराम जयंती का पर्व संतान की सुरक्षा और परिवार में सुख-शांति के लिए रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को बलराम जी का जन्म हुआ था, जो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से दो दिन पहले पड़ती है। बलराम जी को भगवान विष्णु के शेषनाग का अवतार माना जाता है। इस दिन माताएं अपने बेटों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता है कि यह व्रत बच्चों को बीमारियों, डर और बुराइयों से बचाने में मदद करता है। इसके साथ ही, यह उन दंपतियों के लिए भी खास है जो संतान सुख की कामना करते हैं। बलराम जी को कृषि का देवता भी माना जाता है, इसलिए यह पर्व किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण है।

---विज्ञापन---

क्या है इस दिन पूजन का शुभ मुहूर्त?

हलषष्ठी और बलराम जयंती की पूजा मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:23 से 5:07 बजे तक है, जो सुबह की शुद्ध और शांत ऊर्जा के लिए सबसे अच्छा समय है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:59 से 12:52 बजे तक है, जो दिन का सबसे शुभ समय माना जाता है। विजय मुहूर्त दोपहर 2:37 से 3:30 बजे तक रहेगा, जो सफलता और सकारात्मक परिणामों के लिए उपयुक्त है। गोधूलि मुहूर्त शाम 7:01 से 7:23 बजे तक है, जो पूजा के लिए बहुत शुभ समय है। अमृत काल सुबह 6:50 से 8:20 बजे तक रहेगा, जो आध्यात्मिक कार्यों के लिए अनुकूल है। इसके अलावा, सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 9:06 से अगले दिन सुबह 6:20 बजे तक रहेगा, जो हर कार्य में सफलता दिलाने वाला माना जाता है। अभिजीत और गोधूलि मुहूर्त में पूजा करना बहुत फलदायी होता है।

हल से जोता हुआ अनाज खाना है वर्जित

हलषष्ठी व्रत को पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करना जरूरी है, ताकि इसका पूरा फल मिल सके। इस व्रत में कुछ खास नियमों का पालन किया जाता है। इस दिन हल से जोते गए खेतों का अनाज, जैसे गेहूं, चावल या सब्जियां, खाना मना है। इसके बजाय पसई चावल (जो बिना हल के उगाया जाता है) या तालाब के फल खाए जा सकते हैं। इस दिन गाय का दूध, दही या घी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसकी जगह भैंस का दूध, दही और घी उपयोग में लाया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं मंजन न करके महुआ की टहनी से दांत साफ करती हैं।

---विज्ञापन---

हलषष्ठी और बलराम जयंती की पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और अगर संभव हो तो महुआ की टहनी से दांत साफ करें। साफ और सात्विक कपड़े पहनें। इसके बाद, घर के पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम जी की मूर्ति या तस्वीर रखें। पूजा के लिए सामग्री में चंदन, फूल, माला, रोली, अक्षत (चावल), दूर्वा, तुलसी, फल, मिठाई, महुआ, पसई चावल और बच्चों के खिलौने रखें।

भैंस के दूध से बना दही, घी या मिठाई उपयोग करें। पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लें कि आप यह व्रत अपने बच्चों की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए कर रहे हैं। इसके बाद भगवान बलराम और श्रीकृष्ण को चंदन, फूल, माला और भोग चढ़ाएं। भोग में पसई चावल, भैंस के दूध से बनी मिठाई या दही शामिल करें। हल और मूसल को भी पूजा में शामिल करें। इसके बाद, हलषष्ठी की कथा पढ़ें या सुनें। कथा के बाद बलराम जी और श्रीकृष्ण की आरती करें। घर के आंगन या छत पर हलषष्ठी वाली घास लगाएं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

ये भी पढ़ें- जन्माष्टमी पर कान्हा को अर्पित करें ये भोग, प्रसन्न हो जाएंगे भगवान श्रीकृष्ण

First published on: Aug 14, 2025 02:55 AM

संबंधित खबरें