Dhirendra Krishna Shastri Viral Video: भक्तों के मन में अक्सर यह जिज्ञासा उठती है कि क्या महिलाएं भगवान हनुमान जी की पूजा या आराधना कर सकती हैं या नहीं। विशेष रूप से जब बात व्रत, हनुमान चालीसा पाठ या मंगलवार को उपासना करने की आती है तो कई बार समाज में अलग-अलग मत सुनने को मिलते हैं। इस विषय पर प्रसिद्ध कथा वाचक और धर्मगुरु पंडित धीरेंद्र शास्त्री से भी एक प्रश्न किया गया कि क्या महिलाएं हनुमान जी की पूजा कर सकती हैं? इस जिज्ञासा के उत्तर में धीरेंद्र शास्त्री ने श्रद्धापूर्ण और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से एक सटीक मार्गदर्शन प्रदान किया, जो हर भक्त के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बहुत ही सहजता से उत्तर दिया कि किसी भी शास्त्र में ऐसा नहीं लिखा है कि माताओं और बहनों को भगवान हनुमान का भजन नहीं करना चाहिए, लेकिन हां, अगर माता-बहनें उपयुक्त और अनुकूल अवस्था में नहीं हैं, तो वे भगवान हनुमान को सिंदूर न चढ़ाएं और न ही मंदिर जाएं। बस इस रोक का ध्यान रखें बाकी कोई रोक नहीं है। वे बेझिझक हनुमान जी की सेवा कर सकती हैं।
धीरेंद्र शास्त्री के अनुसार हनुमान पूजा के 6 मुख्य नियम
पूजा में शुद्धता का पालन करें
हनुमान जी पूर्ण ब्रह्मचारी हैं इसलिए उनकी पूजा करते समय तन, मन और वातावरण की पवित्रता अत्यंत आवश्यक है। स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र पहनकर ही पूजा करें।
सिंदूर और चमेली के तेल का अर्पण करें
हनुमान जी को सिंदूर (कुंकुम) और चमेली का तेल विशेष प्रिय है। प्रेमपूर्वक हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें
धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि नियमित रूप से श्रद्धा और भावना के साथ हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और मन को बल मिलता है।
रजस्वला अवस्था में महिलाएं दूरी बनाएं
धीरेंद्र शास्त्री के अनुसार, महिलाएं सामान्य अवस्था में हनुमान जी का ध्यान, नाम जप और पाठ कर सकती हैं, लेकिन मासिक धर्म के समय मंदिर में प्रवेश और प्रत्यक्ष पूजा से बचें।
मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा करें
हनुमान जी के लिए मंगलवार और शनिवार अत्यंत शुभ दिन माने जाते हैं। इन दिनों व्रत रखना, हनुमान चालीसा का पाठ करना और मंदिर जाकर दर्शन करना बहुत फलदायी माना जाता है।
भक्ति में निष्काम भाव रखें
धीरेंद्र शास्त्री जी विशेष रूप से बताते हैं कि हनुमान जी की पूजा करते समय किसी भी प्रकार की इच्छा या स्वार्थ न रखें। केवल प्रेम, सेवा और समर्पण भाव से पूजा करें तभी सच्ची कृपा प्राप्त होती है।
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