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भारत का इकलौता कुबेर मंदिर, जहां ताला लगाने की जरूरत नहीं पड़ती

भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जिनके बारे में अद्भुत कहानियां प्रचलित हैं। लेकिन क्या आपने कभी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है जहां ताला लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ती? जी हां, आपने सही सुना! भारत में एक ऐसा भी मंदिर है जो धन के देवता कुबेर को समर्पित है और जहां कभी ताला नहीं लगाया जाता। आइए जानते हैं...

Edited By : Ashutosh Ojha | Updated: Oct 28, 2024 18:46
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मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित खिलचीपुरा का कुबेर मंदिर अपने अनोखे इतिहास और धार्मिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां भगवान कुबेर और शिव परिवार की एक साथ पूजा होती है और इस मंदिर के गर्भगृह में कभी ताला नहीं लगाया जाता।

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दिवाली और धनतेरस पर विशेष पूजा

दिवाली के पावन पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा का महत्व है। खिलचीपुरा के कुबेर मंदिर में धनतेरस पर विशेष पूजा होती है, जिसमें श्रद्धालु अपनी आर्थिक समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान कुबेर का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। मंदिर में तंत्र पूजा का आयोजन भी किया जाता है, जो सुबह 4 बजे प्रारंभ होती है। मान्यता है कि इस पूजा में शामिल होने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

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सैकड़ों साल पुरानी मूर्तियां

इस मंदिर की मूर्तियां सैकड़ों साल पुरानी हैं, जो अपने आप में ऐतिहासिक धरोहर हैं। यहां स्थापित कुबेर जी की चतुर्भुज मूर्ति के एक हाथ में धन की पोटली, दूसरे में शस्त्र और अन्य में एक प्याला है। कहा जाता है कि पहले इस मंदिर में दरवाजे भी नहीं थे, और आज भी गर्भगृह में ताला नहीं लगाने की परंपरा है।

श्रद्धालुओं का उमड़ता सैलाब

धनतेरस और दिवाली के समय यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। हवन और महाआरती का आयोजन कर भक्तजन भगवान कुबेर और शिव परिवार की पूजा करते हैं। यह मंदिर केवल मंदसौर या मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि अन्य प्रदेशों के श्रद्धालुओं को भी अपनी ओर आकर्षित करता है।

अनोखा धार्मिक महत्त्व

खिलचीपुरा का यह कुबेर मंदिर अपने अनोखे धार्मिक महत्त्व और ताला न लगाने की परंपरा के लिए फेमस है और यह भक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक बना हुआ है।

HISTORY

Written By

Ashutosh Ojha

First published on: Oct 28, 2024 06:46 PM

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