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Religion

Chhath Sandhya Arag 2025: आज दी जाएगी छठ मैया और अस्ताचलगामी सूर्य को संध्या अर्घ्य, जानें मंत्र, विधि और महत्व

Chhath Sandhya Arghya 2025: छठ पूजा का तीसरा दिन यानी संध्या अर्घ्य सूर्यदेव की उपासना का सबसे प्रमुख दिन होता है. आज भक्त डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे. आखिर क्यों दिया जाता है डूबते सूर्य को अर्घ्य, और क्या है इसकी धार्मिक और वैज्ञानिक महत्ता? आइए जानते हैं इस पावन परंपरा का रहस्य.

Author Written By: Shyamnandan Author Published By : Shyamnandan Updated: Oct 27, 2025 01:42
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Chhath Sandhya Arghya 2025: छठ पूजा भगवान सूर्यदेव और छठी मैया की उपासना को समर्पित लोकआस्था का चार दिवसीय पर्व है. इसका पहला दिन ‘नहाय-खाय’, दूसरा ‘खरना’, तीसरे दिन अस्तगामी यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा होती है. इसी के साथ भक्तों का 36 घंटे का निर्जला व्रत पूर्ण होता है. आज 27 अक्टूबर को इस महापर्व का तीसरा दिन है. इस दिन के शाम में संध्या अर्घ्य के समय भक्त डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. आइए जानते हैं, इस दिन का महत्व, विधि और महत्व क्या है?

इसलिए देते हैं अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य

छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य देना कृतज्ञता का प्रतीक है. इस पूजा में सूर्य और उनकी पत्नी ऊषा की पूजा कर भक्त उन्हें दिनभर की रोशनी, ऊर्जा और जीवन देने के लिए धन्यवाद देते हैं. डूबते सूर्य को अर्घ्य देना कृतज्ञता और संतुलन का प्रतीक है, जो मनुष्य को जीवन के उतार-चढ़ाव में धैर्य और शांति बनाए रखने की प्रेरणा देता है. वहीं, शाम के समय जब सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्युषा के साथ होते हैं, तब भक्त जल में खड़े होकर उन्हें अर्घ्य अर्पित करते हैं. यह परंपरा बताती है कि श्रद्धा केवल सफलता के समय ही नहीं, कठिन क्षणों में भी अटल रहनी चाहिए. डूबते सूर्य को अर्घ्य देना शांति, एकता और आस्था का सुंदर प्रतीक है.

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ऐसी दी जाती है संध्या अर्घ्य

छठ पूजा का तीसरा दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी का दिन होता है. यह इस पर्व का सबसे प्रमुख दिन होता है. इस दिन व्रती नए और स्वच्छ वस्त्र धारण कर नदी, तालाब या घाट पर कमर तक जल में खड़े होकर अस्तगामी यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. इस अवसर पर बांस की टोकरी और सूप में ठेकुआ, नारियल, गन्ना, केला, फल और अन्य प्रसाद सजाए जाते हैं, जिन्हें सूर्यदेव और छठी मैया को अर्पित किया जाता है.

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आपको बता दें कि सूर्य को जल अर्पित करते समय दोनों हाथ सिर के ऊपर उठाकर अर्घ्य देना शुभ माना गया है. अर्घ्य के जल में रोली, चंदन या लाल फूल मिलाना मंगलकारी होता है. ध्यान रखें कि अर्घ्य का जल पैरों में न गिरे

संध्या अर्घ्य में जरूर पढ़ें ये मंत्र

छठ पूजा के पावन अवसर पर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करते समय श्रद्धा और भक्ति के साथ मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है. अर्घ्य देते समय आप निम्न मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं:

  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
  • ॐ घृणि सूर्याय नमः
  • ॐ आदित्याय नमः
  • ॐ भास्कराय नमः
  • ॐ दिवाकराय नमः

इनमें से सबसे प्रचलित और प्रभावशाली मंत्र ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ है, लेकिन आप चाहें तो ये पांचों मंत्र एक साथ भी पढ़ सकते हैं. अर्घ्य अर्पण करते समय इस मंत्र का बार-बार जाप करने से मन को शांति और आत्मा को दिव्य ऊर्जा प्राप्त होती है.

संध्या अर्घ्य पूजा से लाभ

संध्या अर्घ्य देने से व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति मिलती है. यह पूजा पापों के नाश और सकारात्मक ऊर्जा के संचार का प्रतीक है. डूबते सूर्य को अर्घ्य देना सिखाता है कि जीवन में सुख-दुःख और सफलता-असफलता को समान भाव से स्वीकार करना चाहिए. इसके साथ ही, संध्या अर्घ्य के दौरान भक्त अपनी संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Oct 27, 2025 01:42 AM

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