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Chanakya Niti: जीवन में सच्ची खुशी पाने के लिए जरूरी हैं ये 3 लोग, यहीं मिलता है असली सुख

Chanakya Niti: चाणक्य नीति के अनुसार सच्चा सुख धन या पद से नहीं, बल्कि सही लोगों से मिलता है. आचार्य चाणक्य के अनुसार, जीवन 3 लोगों की संगति ऐसी होती है, जो जीवन को संतुलित बनाती है. यदि ये नहीं हैं, तो खुशी अधूरी-सी लगती है? आइए जानते हैं, ये 3 लोग कौन हैं?

Author Written By: Shyamnandan Updated: Dec 25, 2025 15:53
Chanakya-Niti

Chanakya Niti: मनुष्य जीवन में सुख की खोज हमेशा से रही है. धन, पद और प्रतिष्ठा मिलने के बाद भी कई बार मन खाली ही रहता है. भारत के महान विद्वान और नीतिकार आचार्य चाणक्य ने जीवन के इसी सत्य को बहुत सरल शब्दों में समझाया है. उनके अनुसार असली खुशी बाहर नहीं, बल्कि कुछ खास लोगों के साथ जुड़ी होती है. चाणक्य नीति बताती है कि जीवन में केवल तीन प्रकार के लोग ही मनुष्य को सच्चा सुख दे सकते हैं. इन्हीं के साथ जीवन संतुलित और शांत बनता है. आइए जानते हैं, ये 3 लोग कौन-हैं, जहां असली सुख मिलता है?

परिवार से मिलने वाला सुकून

आचार्य चाणक्य के अनुसार, दिन भर के परिश्रम के बाद मनुष्य जब घर लौटता है, तो उसे सबसे पहले मानसिक शांति की जरूरत होती है. यह शांति परिवार से मिलती है. घर का माहौल अगर प्रेम और अपनापन से भरा हो, तो सारी थकान अपने आप दूर हो जाती है. परिवार इंसान को भावनात्मक सहारा देता है और मुश्किल समय में टूटने नहीं देता.

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पत्नी का स्नेह और समझ

चाणक्य नीति में पत्नी को जीवन की सबसे बडी शक्ति माना गया है. एक समझदार और स्नेहिल पत्नी पति के जीवन को सहज बना देती है. जब पति काम के बोझ से थका हुआ घर आता है और पत्नी प्रेम से उसका स्वागत करती है, तो उसका मन हल्का हो जाता है. पत्नी केवल जीवनसाथी नहीं होती, बल्कि मित्र, मार्गदर्शक और सहारा भी बनती है. यही संबंध जीवन में स्थायी खुशी की नींव रखता है.

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संतान से मिलने वाला गर्व

संतान को चाणक्य ने सुख का दूसरा बडा स्रोत बताया है. आज्ञाकारी और संस्कारी संतान माता पिता के जीवन में सम्मान और आनंद लाती है. जब संतान सही मार्ग पर चलती है, तो माता पिता को गर्व महसूस होता है. वहीं संतान का गलत आचरण परिवार के लिए दुख का कारण भी बन सकता है. इसलिए संतान को अच्छे संस्कार देना ही दीर्घकालिक सुख का आधार है.

सज्जनों की संगति का महत्व

तीसरा सुख सज्जन व्यक्ति की संगति से मिलता है. सज्जन वही होता है जो कठिन समय में सही सलाह दे और बिना स्वार्थ के साथ खडा रहे. ऐसे व्यक्ति का ज्ञान और अनुभव दुखी मन को शांत करता है. सही संगति जीवन को सही दिशा देती है और गलत फैसलों से बचाती है.

किनसे बनाएं दूरी?

आचार्य चाणक्य यह भी स्पष्ट करते हैं कि धोखेबाज और मूर्ख लोगों से दूरी बनाना जरूरी है. ऐसे लोग नकारात्मकता फैलाते हैं और जीवन में अशांति लाते हैं. गलत संगति धीरे धीरे इंसान की सोच और सुख दोनों को नष्ट कर देती है.

सच्चे सुख का सार

इस चाणक्य नीति का असली सार यही है कि सच्ची खुशी दिखावे में नहीं, बल्कि रिश्तों की गहराई में छुपी है. पत्नी का प्रेम, संतान का संस्कार और सज्जनों की संगति मिल जाए, तो जीवन सरल, शांत और आनंदमय बन जाता है. यही असली सुख है, जो लंबे समय तक साथ रहता है.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Dec 25, 2025 03:51 PM

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