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बेटे के पिता को नहीं करनी चाहिए ये 5 गलतियां, आचार्य चाणक्य ने बताए हैं कारण!

आचार्य चाणक्य ने बच्चों की परवरिश को लेकर चाणक्य नीति में काफी कुछ लिखा है। इन बातों को जीवन में उतारकर कोई भी व्यक्ति अपनी संतान को महान बना सकता है। चाणक्य ने अपनी नीतियों में कुछ ऐसे काम बताए हैं, जो एक बेटे के पिता को नहीं करने चाहिए।

Author Edited By : Mohit Updated: Apr 5, 2025 00:34
chanakya niti

आचार्य चाणक्य की शिक्षाएं आज भी पहले जैसी ही प्रासंगिक हैं। उन्होंने अपनी नीतियों में पैरेंटिंग को लेकर भी कई सारे टिप्स दिए हैं। आचार्य चाणक्य ने बताया है कि एक पिता और अपने बेटे के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि क्या नहीं करना चाहिए।

आचार्य चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। वे प्राचीन भारत के एक महान शिक्षक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ थे। उन्हें मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और मार्गदर्शक के रूप में जाना जाता है। उनकी नीतियां आज भी मोटिवेशन, लाइफ मैनेजमेंट, रिलेशनशिप्स, और लीडरशिप व पैरेंटिंग के लिए बहुत काम की मानी जाती हैं। उन्होंने अपनी नीति में कुछ ऐसी गलतियों का जिक्र किया है, जो किसी भी बेटे के पिता को नहीं करनी चाहिए। आइए जानते हैं कि वे कौन सी गलतियां हैं।

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जरूरत से ज्यादा न करें प्यार

चाणक्य नीति के अनुसार एक पिता को अपने बेटे से जरूरत से ज्यादा लाड़-प्यार नहीं करना चाहिए। अगर आप उसकी हर गलत बात को सही मानेंगे तो वह जिद्दी और गैर जिम्मेदार बन सकता है। ऐसे में उस बच्चे को यह पता नहीं चलेगा कि मेहनत और अनुशासन से ही जीवन में सफलता मिलती है।

बेटे के फैसले में न दें जरूरत से अधिक दखल

चाणक्य नीति के अनुसार बेटे के बड़े होने पर उसे स्वतंत्रता और निर्णय लेने की आजादी देनी चाहिए। अगर कोई पिता अपने बेटे के हर निर्णय में दखल देता है तो बेटा खुद के फैसले लेने से डरने लगेगा और कभी भी आत्मनिर्भर नहीं बन पाएगा।

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गलत संगति में जाने से न रोकना

कुछ पिता आजकल बच्चे की संगति पर ध्यान नहीं देते हैं, जो कि बिल्कुल गलत है। एक पिता को अपने बेटे की संगति का ध्यान रखना चाहिए और उसे गलत संगति में जाने से रोकना चाहिए।

संस्कार न देना

कुछ लोग अपने बेटे को धन कमाने की शिक्षा तो देते हैं लेकिन संस्कार नहीं देते हैं। ऐसे में आपका बेटा लालची और स्वार्थी बन सकता है। उसे यह सिखाना जरूरी है कि ईमानदारी, परिश्रम और दूसरों की मदद करना सबसे बड़ी पूंजी है।

बेटे को अपने से कमजोर समझना

कई बार पिता बेटे को कमजोर या अनुभवहीन मानते हैं और उस पर विश्वास नहीं करते हैं। ऐसा करने से बेटा निराश हो सकता है और खुद को कमजोर समझने लगता है। अगर पिता उसे सपोर्ट करेंगे, तो वह और आत्मविश्वासी बनेगा।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी चाणक्य नीति पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Mohit

First published on: Apr 05, 2025 12:33 AM

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