---विज्ञापन---

Religion

चैती छठ पूजा की हुई शुरुआत, जानिए क्या है इसका महत्व?

चैत्र माह की छठ पूजा की शुरुआत 1 अप्रैल 2025 दिन बुधवार से हो चुकी है। यह व्रत सूर्य देवता और छठी माई को समर्पित होता है। इस व्रत में व्रती 36 घंटे तक का निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत की शुरुआत नहाय खाय से होती है।

Author Edited By : Mohit Updated: Apr 1, 2025 21:05
छठ पूजा
Credit- Pexels

चैती छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। यह पर्व बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश आदि कई जगहों पर मनाया जाता है। इस पर्व में सूर्यदेव और उनकी बहन छठी मइया का पूजन किया जाता है। छठ पूजा चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होती है और यह पर्व सप्तमी तिथि तक चलता है। इस व्रत में व्रती 36 घंटे तक का निर्जला व्रत रखते हैं।

साल 2025 में चैती छठ पूजा की शुरुआत 1 अप्रैल को नहाय खाय से हो चुकी है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं ने स्नान के बाद पान के पत्ते में सुपारी और अक्षत सूर्यदेव को अर्पित किया है। इसके साथ ही पीतल के पात्र में कद्दू, चने की दाल और चावल से तैयार प्रसाद ग्रहण करके 2 अप्रैल खरना की तैयारी शुरू कर दी है।

---विज्ञापन---

महाभोग करेंगी तैयार

नहाय-खाय के बाद खरना पर्व 2 अप्रैल को मनाया जाएगा। खरना के समय व्रती नए धान से निकले चावल से तैयार खीर मतलब महाभोग का प्रसाद ग्रहण करती हैं। खरना बुधवार की शाम को किया जाएगा। खरना के सफाई के बाद गेहूं को धोकर सुखाकर साफ चक्की में पिसाया जाता है। इससे तैयार आटे से व्रती रोटी और ठेकुआ तैयार करती हैं। मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से व्रती गुड़ और चावल की खीर बनाती हैं। सूर्यास्त के बाद पूजा होती है। इसके बाद खरना का अनुष्ठान पूरा होता है। वहीं, कुछ लोग इस दिन चावल, दाल और पूड़ियां बनाते हैं।

अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है पहला अर्घ्य

चैती छठ महाव्रत धारण करने वाली व्रती सूर्य पष्ठी पर गुरुवार की शाम में अस्त होते सूर्य को पहला अर्घ्य देंगी। शुक्रवार को सूर्य सप्तमी पर व्रती उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य अर्पित करेंगी। इसके साथ साथ ही चार दिन के इस पर्व का समापन हो जाएगा। खरना 2 अप्रैल, संध्या अर्घ्य 3 अप्रैल और 4 अप्रैल को उषा अर्घ्य के साथ व्रत का समापन होगा।

---विज्ञापन---

चैती छठ पूजा की सामग्री

पूजा सामग्री के लिए एक थाली, मिट्टी के दीए दीपक जलाने के लिए, खाजा, गुड़ और अदरक को पौधा, चावल, आटा और जल, शहद, गंगाजल, चंदन, सिंदूर, धूपबत्ती, कुमकुम और कपूर, बांस या पीतल का सूप, दूध और जल के लिए गिलास, ऋतुफल, कलावा, सुपारी, फूल और माला, तांबे का कलश और बड़ी टोकरी आपको अपने पास रखनी होगी।

प्रसाद के लिए रखें ये चीजें

प्रसाद में आपको लड्डू, हल्दी, नाशपाती, पत्ते लगे गन्ने, दूध, तेल और बाती, नारियल, शरीफा, दूध से बनी मिठाइयां, बड़ा नींबू, सिंघाड़ा,सुथनी, शकरकंदी, मूली, बैंगन, केले, गेहूं आदि चीजें रखनी हैं।

इन नियमों का रखें ध्यान

चैती छठ पूजा के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। इन दिनों में घर के सभी सदस्यों पूरा सात्विक भोजन ही ग्रहण करें। इन दिनों में लहसुन और प्याज का सेवन न करें। छठ पूजा का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाएं। पूजा के कपड़ों में सुई का उपयोग न करें। पूजा में बांस से बने सूप और टोकरी का ही इस्तेमाल करें। व्रती पूजा के दौरान जमीन पर चटाई बिछाकर सोएं।

क्या है महत्व?

चैती छठ पूजा सूर्य देवता और छठी मइया से संबंधित पर्व है। इस दिन भगवान सूर्य देव और छठी मइया का आशीर्वाद पाने के लिए व्रती कठिन व्रत रखती हैं। इस व्रत को रखने से सुख, समृद्धि, शांति घर में आती है। इसके साथ ही पूरे घर का कल्याण होता है। संतान की आयु लंबी होती है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

ये भी पढ़ें- मां की मुस्कान से प्रकट हुआ था ब्रह्मांड, जानिए कौन हैं देवी कुष्मांडा?

HISTORY

Edited By

Mohit

First published on: Apr 01, 2025 09:05 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें